रामगढ़ः कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान काफी कुछ तब्दीलियां देखने को मिलीं. मौजूदा दौर में भले ही जिंदगी थम गई. लेकिन जल थल और प्रदूषण पर नियंत्रण हुआ है. यातायात दुर्घटना में 99 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई. झारखंड से गुजरने वाला NH-33 भी इस बात की तस्दीक करता है. रांची-पटना को जोड़ने वाली ये सड़क यात्रियों के लिए मौत का पैगाम लेकर आती रही है. संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान रामगढ़ के चुटूपालू घाटी में महज 4 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. लेकिन अनलॉक के दिनों की बात करें तो अब तक 30 से ज्यादा लोगों की मौत घाटी में हुए रोड एक्सीडेंट में हो चुकी है.
क्यों है ये मौत की घाटी
आखिर चुटूपालू घाटी मौत घाटी क्यों बन गयी या फिर बनती जा रही है. लोगों की मानें तो उनका कहना है घाटी की तेज ढलान की हादसे की सबसे बड़ी वजह है. घाटी के बीच आने वाले तेज ढलान का सटीक अनुमान भी लगा पाना मुश्किल होता है. ढलान में बार-बार ब्रेक लगाने से कई बार गाड़ी खराब हो जाती है, ब्रेक फेल हो जाते हैं, जिसकी वजह से लोग हादसे का शिकार होते हैं. वाहन चालकों की ओर से लापरवाही में ओवरटेक करने की वजह भी हादसों की बड़ी वजह में से एक है.
क्या कहते हैं अधिकारी
रामगढ़ घाटी में बढ़ते हादसों और उससे हो रही मौतों को लेकर प्रशासन काफी परेशान है. एसडीपीओ अनुज उरांव ने बताया कि घाटी में ज्यादा मामले लापरवाही को लेकर सामने आए हैं. अक्सर लोग सटीक अनुमान ना लगाने की वजह से, दूसरे वाहन को तेजी से ओवरटेक करने, गाड़ी में खराबी, तेज रफ्तार को हादसों की वजह माना है. जिसको लेकर घाटी में बोर्ड लगाए गए हैं, लोगों को सड़क के विषय में जागरूक किया जा रहा है.