रामगढ़ः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन रामगढ़ पहुंचे. शहीद सोबरन सोरेन की शहादत दिवस के मौके पर रामगढ़ के लुकैयाटांड़ स्थित स्मारक स्थल शहीद सोबरन सोरेन की शहादत स्थल पर पुष्प अर्पित कर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी. इसके साथ ही 34 योजनाओं का उद्घाटन किया और लाभुकों के बीच परिसंपत्तियों का वितरण गुरुजी और सीएम ने किया.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ सांसद शिबू सोरेन अपने पैतृक गांव रामगढ़ जिला के लुकैयाटांड़ पहुंचे. जहां उन्होंने शहीद सोबरन सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित की और कई योजनाओं का उद्घाटन व परिसंपत्तियों का वितरण किया. इस दौरान रामगढ़ डीसी चंदन कुमार ने संथाली भाषा में सभा को संबोधित किया और शहीद सोबरेन सोरेन को श्रद्धांजलि दी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने दादा के संघर्ष की कहानी बोलते हुए काफी भावुक दिखे. उन्होंने कहा कि उनके दादा शहीद सोबरन सोरेन दलित पिछड़ों के लिए काफी संघर्ष किया और जमीदारी प्रथा के विरोध में उन्होंने जब आवाज उठाया तो महाजन और जमीदारों ने मिलकर उनकी इसी स्थान पर हत्या कर दी और उन्हीं के खून के कतरे से शिबू सोरेन का उदय हुआ. इसके बाद दलित शोषित पिछड़ों के लिए लड़ाई लड़ी और महाजनी को पूरी तरह खत्म करवाया. झारखंड के गरीबों के लिए आंदोलन कर अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया.
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड राज्य को अलग करने में अग्रणी भूमिका निभाई जिन्हें राज्य ही नहीं पूरे देश में लोग जानते वह पहचानते हैं. सरकार गठन के बाद से ही सरकार एक में नहीं बल्कि आपके द्वारा बैठकर काम कर रही है. अगर कोरोना काल को छोड़ दें तो सरकार आपके द्वार कार्यक्रम लगातार 3 साल से चल रहा है और जो लोग प्रखंड या ऑफिस नहीं जा पा रहे थे, सरकार उनके घर पहुंच कर काम कर रही है. बुजुर्गों को पेंशन मिल रहा, स्वास्थ्य, सड़क, स्कूल सहित कई विकास योजनाओं पर काम चल रहा है. बुजुर्ग, दिव्यांग और विधवा को सरकार पेंशन दे रही है. गरीबों के राशन कार्ड बनाये जा रहे है ताकि कोई भी भूखा न सोए. झारखंड वीरों का राज्य है, बच्चों को शिक्षित जरूर करें और शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए ताकि गांव के सभी बच्चे अच्छी शिक्षा हासिल कर सके और जब शिक्षित हो जाएंगे तो अपनी बेहतरी और रोजगार की ओर ध्यान देंगे तब झारखंड का और विकास तेजी से होगा.
शहीद सोबरेन सोरेन सांसद शिबू सोरेन के पिता और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दादा थे. सोबरन सोरेन शिक्षक थे और उस समय जमीदारी प्रथा का विरोध करते थे. इससे क्षुब्ध होकर महाजनों ने 27 नवंबर 1957 को लुकैयाटांड़ में उनकी हत्या कर दी थी. उसके बाद से उनकी याद में सोबरन सोरेन की शहादत दिवस इसी स्थान में हर वर्ष मनाया जाता है. शहादत स्थल पर दूर दराज से ग्रामीण श्रद्धांजलि देने पहुंचे.