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सादगी से मनाई गई मां छिन्नमस्तिका की जयंती, लॉकडाउन के कारण मंदिर में पसरा रहा सन्नाटा - maa Chinnamastika mandir in rajrappa

आज माता छिन्मस्तिका की जयंती है. सदियों से वैशाख शुक्ल चतुर्दशी तिथि को मनाए जानी वाली माता छिन्नमस्तिका की जयंती पहली बार बिना भक्तों की मौजूदगी के आयोजित की गई. इस दौरान सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मंदिर न्यास समिति के पुजारियों ने माता की विशेष पूजा अर्चना अहले सुबह की और फिर दोपहर में आरती की गई.

maa Chinnamastika's birth anniversary made with simplicity
सादगी से मनी मां छिन्नमस्तिका की जयंती

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Published : May 6, 2020, 7:59 PM IST

रामगढ़: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार छिन्नमस्तिका माता देवी काली का एक अद्वितीय अवतार हैं, क्योंकि उन्हें जीवन हरने वाली के साथ साथ जीवनदाता भी माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो भक्त देवी छिन्मस्तिका की पूजा करते हैं उनको सभी कठिनाइयों से छुटकारा मिलता है.

आध्यात्मिक के साथ-साथ सामाजिक ऊर्जा में भी वृद्धि होती है. कोरोना महामारी के मद्देनजर माता छिन्नमस्तिका मंदिर के इतिहास में पहली बार आम श्रद्धालु के प्रवेश पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है. इस दौरान मंदिर में रोज की तरह पूजा-अर्चना स्थानीय पुजारी कर रहे हैं, लेकिन भक्त मां के दर्शन पिछले 46 दिनों से नहीं कर पा रहे हैं.

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माता छिन्नमस्तिका देवी का मंदिर झारखंड के रामगढ़ जिले के रजरप्पा में अवस्थित है. यह मंदिर असम के कामाख्या मंदिर के बाद दुनिया का सबसे बड़ा सिद्ध पीठ स्थल माना जाता है. रजरप्पा के भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित यह मंदिर करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है.

छिन्नस्तिका माता की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती रही है. जयंती के अवसर पर पूरे मंदिर प्रक्षेत्र को भव्य तरीके से सजाया जाता रहा है. यही नहीं इस दिन लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर परिसर में रहती थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण मंदिर में आम श्रद्धालुओं के लिए प्रवेश वर्जित कर दिया गया है.

नियमित रूप से रजरप्पा के पुजारियों द्वारा पूजा की जा रही है. आज अहले सुबह माता की पूजा अर्चना के बाद दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ हवन और जाप के बाद माता छिन्नमस्तिका का विशेष भोग लगाया गया. शाम 7:00 बजे संध्या भव्य आरती होगी. स्थानीय पुजारी असीम पंडा के अनुसार, इस बार वो बात नहीं है. मंदिर के अंदरूनी हिस्सों को भव्य तरीके से सजाया गया, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से बंगाल से फूल और कारीगर नहीं पहुंच पाए. इस कारण पूरे मंदिर की सजावट नहीं हो सकी, लेकिन माता की जयंती बड़े ही धूमधाम से पुजारियों ने मनाई.

मंदिर के पुजारियों द्वारा यहां सिर्फ दैनिक पूजा, मंगल आरती, दोपहर में भोग और संध्या आरती ही हो रही है. इसमें आम श्रद्धालुओं का प्रवेश पूरी तरह से निषेध है. जिला प्रशासन के निर्देश पर पिछले 20 मार्च से ही सिद्धपीठ रजरप्पा स्थित छिन्नमस्तिका मंदिर का पट आम श्रद्धालुओं के लिए बंद है. माना जाता है कि माता छिन्नमस्तिका के दरबार में जो भी सच्चे मन से आता है, उसकी सभी मुरादें पूरी होती हैं. माता का आशीर्वाद सभी पर बना रहता है. इसलिए मां के दरबार में विश्व शांति और कल्याण के लिए मां की स्तुति का पाठ भी किया जाता है.

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