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तेंदुए का खौफ: समूह में ग्रामीण जाते हैं जंगल, कई इलाकों में महुआ और लकड़ी चुनना हुआ मुश्किल - Jharkhand news

दिसंबर-जनवरी महीने में पलामू के जंगलों में आदमखोर तेंदुए ने सभी को काफी परेशान किया था. उसके हमले में चार बच्चों की जान चली गई थी जबकि कई लोग घायल हो गए थे. उसके इस खौफ के कारण आज भी ग्रामीण जंगल में जाने से डर रहे हैं. जंगल नहीं जाने से उनका जन जीवन भी प्रभावित हुआ है.

Villagers are scared of going to forest
leopard

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Published : Apr 23, 2023, 6:03 PM IST

Updated : Apr 23, 2023, 6:52 PM IST

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पलामू:दिसंबर 20222 और जनवरी 2023 में पलामू, गढ़वा और लातेहार के अलग-अलग हिस्सों में तेंदुए ने कई लोगों पर हमला किया. इस हमले में चार मासूम बच्चों की जान गई थी. इस घटना के चार महीने बीत गए हैं, बावजूद लोगों के बीच तेंदुए का खौफ कायम है. पलामू गढ़वा लातेहार के सीमावर्ती क्षेत्रों के कई इलाकों में लोगों ने जंगल जाना भी छोड़ दिया है, इन इलाकों की बड़ी आबादी जंगल और जंगल से जुड़े उत्पादों पर निर्भर है.

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ग्रामीणों में खौफ इस कदर है कि अब वे समूहों में जंगल जाते हैं. स्थानीय ग्रामीणों के हाथ में टांगी या कुछ अन्य हथियार होता है. जनवरी के अंतिम सप्ताह के बाद पलामू प्रमंडल के किसी भी इलाके से तेंदुआ द्वारा किसी पर इंसान पर हमले की खबर निकल कर सामने नहीं आई है. कुछ ग्रामीण जंगल में महुआ चुनते हैं कि जबकि कुछ ग्रामीण में इलाके में निगरानी रखते हैं.

खौफ के कारण महुआ और लकड़ी नहीं चुन पा रहे ग्रामीण:पलामू के रामगढ़ थाना क्षेत्र की रहने वाली आशा और मनीता देवी पिछले कई वर्षों से जंगल से महुआ चुनती हैं और इसे बाजार में बेचती है. महुआ चुनने के बाद ये अक्सर जंगलों में लकड़ी भी चुनती है, लेकिन इस बार दोनों महुआ चुनने के दौरान खौफ में रही है. जंगल में महुआ चुनने के लिए नहीं जा पाई, जबकि महुआ का सीजन धीरे धीरे खत्म हो रहा है. वे दोनों जिस इलाके में महुआ चुनती हैं उस इलाके में तेंदुआ कभी देखा नहीं गया. आशा और मनीता बताती हैं कि उनकी तरह दर्जनों ग्रामीण जंगल नहीं जा रहे हैं, जंगल कभी जाना भी पड़ा तो उस दौरान वे सावधान रहती हैं. आशा देवी बताती है कि अचानक उन्होंने सुना कि जंगल में तेन्दुआ आया हुआ है. वे डर गई थी और काफी दिनों तक जंगल नहीं गई. मनीता देवी बताती हैं कि डर लगता है, लेकिन मजबूरी है जिस कारण वे जंगल जा रही हैं. उनकी तरह दर्जनों महिलाएं हैं जो खौफ के साए में जंगल जाती हैं लेकिन सभी समूह मेंऔर एकजुट होकर जाती हैं.

एक महीने तक आदमखोर तेंदुए ने मचाई थी तबाही:दिसंबर 2022 से जनवरी 2023 के अंतिम सप्ताह तक तेंदुआ ने पलामू प्रमंडल के कई इलाकों में तबाही मचाई थी. आदमखोर तेंदुए ने अलग-अलग इलाकों में हमला कर चार बच्चों की जान ले ली थी, वहीं आधा दर्जन से अधिक लोग जख्मी भी हुए थे. आदमखोर तेंदुआ को मारने के लिए हैदराबाद के मशहूर छोटे नवाब सफत अली खान को भी बुलाया गया था. पहली बार पलामू प्रमंडल के इलाके में किसी तेंदुआ को आदमखोर घोषित किया गया था. चंदवा छत्तीसगढ़ के इलाके से पलामू प्रमंडल में दाखिल हुआ था और एक महीने के बाद इलाके को छोड़कर भाग गया था.

Last Updated : Apr 23, 2023, 6:52 PM IST

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