पलामू: जो इलाका कभी बाघों के लिए जाना जाता रहा, अब उस इलाके में अब तेंदुओं का कब्जा हो गया है. एशिया के बड़े टाइगर प्रोजेक्ट में से एक पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में जनवरी 2020 के बाद तेंदुओं की मौजूदगी बढ़ी है. पीटीआर (PTR) प्रबंधन के अनुसार डेढ़ साल में कई तेंदुओं की गतिविधियां सामने आई हैं, जबकि एक भी बाघ इस दौरान नहीं दिखा है. साल 1932 में पलामू टाइगर रिजर्व से ही पहली बार देश में बाघों की गिनती शुरू हुई थी. लगभग 50 साल बाद पीटीआर में बाघ गिनती के लिए भी नजर नहीं आ रहे.
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पलामू टाइगर रिजर्व 1026 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जबकि इसका कोर एरिया 226 वर्ग किलोमीटर में है. साल 1974 में देश में बाघों को संरक्षित करने के लिए एक साथ 9 इलाकों में टाइगर प्रोजेक्ट की योजना शुरू की गई थी. पलामू टाइगर रिजर्व उन 9 इलाकों में से एक है, जहां बाघों को संरक्षित (protected) करने का काम शुरू हुआ था. साल 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट के इलाके में 50 बाघ बताए गए थे. विभागीय अधिकारियों की मानें तो पीटीआर में 150 के करीब तेंदुआ (Leopard) की संख्या हो गई है. जिस इलाके में बाघ मौजूद होते हैं, उस इलाके में तेंदुए की मौजूदगी नहीं होती है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक वाईके दास बताते हैं कि पीटीआर में बाघ (Tiger) और तेंदुओं के लिए आदर्श वातावरण है.