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बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षाबलों का कब्जा, गृह मंत्री अमित शाह ने दी बधाई - पलामू न्यूज

झारखंड में नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना बूढ़ा पहाड़ है, इसपर अब सुरक्षाबलों का कब्जा है (Security forces captured Buddha Pahad Jharkhand). सुरक्षाबलों की इस सफलता पर गृह मंत्री अमित शाह और सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने बधाई दी है.

Buddha Pahad Jharkhand
Buddha Pahad Jharkhand

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Published : Sep 22, 2022, 9:45 PM IST

पलामू: झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद बूढ़ा पहाड़ पर माओवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का अभियान जारी है. सुरक्षाबलों का बूढ़ा पहाड़ पर कब्जा हो गया है (Security forces captured Buddha Pahad Jharkhand). देश के गृह मंत्री अमित शाह और सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने ट्वीट कर बूढ़ा पहाड़ पर कैंप स्थापित करने के लिए बधाई दी है और जवानों का हौसला बढ़ाया है.

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बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षा बलों का कब्जा: बूढ़ा पहाड़ के टॉप पर तिसिया और नावाटोली में पुलिस कैंप की स्थापना भी की गई है. दोनों कैंपो में कोबरा, जगुआर और सीआरपीएफ के 400 जवानों को तैनात किया गया है. तिसिया और बूढ़ा पहाड़ में हेलीपैड भी बनाया गया है. तिसिया और नावाटोली में जाने के लिए बूढ़ा नदी पर पुल बनाए गए हैं. सुरक्षा बलों के जवानों ने इस कच्चे पुल को करीब एक हफ्ते में तैयार किया है. शुरुआत में बनाए गए पुल को तेज बारिश में नुकसान होता था. बाद में जवानों ने एक और पुल तैयार कर लिया है. स्कूल के माध्यम से ही सुरक्षाबल तीसिया और नवाटोली तक पहुंच रहे हैं.

सुरक्षाबलों से बूढ़ा पहाड़ का टॉप मात्र 788 मीटर दूर: बूढ़ा पहाड़ के टॉप पर मौजूद बड़ागांव सुरक्षाबलों से मात्र 788 मीटर दूर है. फिलहाल सुरक्षा बल के जवान तीसिया में कैंप कर रहे हैं. तिसिया से बूढ़ा पहुंचने में करीब एक घंटे तक पहाड़ चढ़ाई करनी पड़ती है. तिसिया में कैंप पूरी तरह से स्थापित हो जाने के बाद अगले चरण में बूढ़ा गांव में पुलिस कैंप बनाया जाना है. फिलहाल सुरक्षाबल लातेहार के बारेसाढ होते हुए बूढ़ापहाड़ पंहुच रहे हैं. बूढ़ा पहाड़ को सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़ के सहयोग से चारों तरफ से घेर लिया है. छत्तीसगढ़ पुलिस ने पुनदाग और भुताही मोड़ के इलाके में सुरक्षाबलों को तैनात किया है. फिलहाल जवान लगातार बूढ़ापहाड़ के इलाके में हाई अलर्ट पर रहते हुए पेट्रोलिंग कर रहे हैं.

तीन जगहों से हो रही है निगरानी: बूढ़ा पहाड़ और उसके आसपास के इलाके में पहले से करीब एक दर्जन सीआरपीएफ के कैंप हैं. बूढ़ा पहाड़ पर अभियान की निगरानी लातेहार के बारेसाढ़, गढ़वा के बहेराटोली और मंडल से हो रही है. बूढ़ा पहाड़ पर अभियान में शामिल जवानों को हर तीन दिन में बदल दिया जा रहा है, ताकि अभियान में शामिल जवान मानसिक रूप से मजबूत रहे. बूढ़ा पहाड़ पर अभियान की निगरानी के लिए लातेहार के मंडल, छिपादोहर, करामडीह, मुर्गिडीह, गारु और गढ़वा के भंडरिया मतगड़ी हेसातू कुल्ही परो में कैम्प स्थापित किए गए हैं. इस अभियान में सीआरपीएफ की 134, 112, 172,11, 214 बटालियन के जवानों को तैनात किया गया है. जबकि कोबरा और जगुआर के असाल्ट ग्रुप की भी तैनाती की गई है.

कैंप और कम्युनिकेशन को मजबूत कर रहे हैं सुरक्षाबल:नावाडीह और तिसिया में कैंप स्थापित करने इलाके में कम्युनिकेशन को बेहतर किया जा रहा. सुरक्षाबल लातेहार के बारेसाढ़ से तिसिया तक कच्चा रोड बनाया जा रहा है, जबकि गढ़वा के हेसातू और बहेरा टोला से बूढ़ा पहाड़ तक रोड बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू की गई है. फिलहाल 40 ट्रैक्टर और आधा दर्जन जेसीबी के माध्यम से बारेसाढ से तिसिया तक रोड बनाया जा रहा है. बारेसाढ़ से तिसिया की दूरी करीब 12 किलोमीटर दूर गई, अभियान के क्रम में इस 12 किलोमीटर की दूरी तय करने में सुरक्षाबलों को 24 से 48 घंटे लगते थे. अब सुरक्षाबल इस इलाके में आधे घंटे में पहुंच जा रहे हैं. बारेसाढ़ बेस कैंप से सुरक्षाबल से बूढ़ा पहाड़ पर जवान दो घंटे में पंहुच रहे है. बुढ़ा पहाड़ पर अभियान के लिए पलामू के चियांकी में एक हेलीकॉप्टर की भी तैनाती की गई है.

बूढ़ा पहाड़ के इलाके में रहती है पांच हजार से अधिक की आबादी:माओवादियों का सुरक्षित ठिकाना माने जाने वाले बूढ़ा पहाड़ की सीमाएं (buddha pahad borders) छत्तीसगढ़ से सटी हुई है. जबकि झारखंड के अंदर गढ़वा लातेहार से सटी हुई. इन इलाकों में करीब 15 गांव में पांच हजार से अधिक की आबादी रहती है. अधिकतर आदिम जनजाति के लोग रहते हैं, जिन्हें आज तक कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई है. बूढ़ा पहाड़ को माओवादियों से मुक्त करवाने के बाद इलाके में लोगों के लिए सरकारी योजनाओं का पहुंचना आसान हो जाएगा. माओवादियों के खौफ के कारण कोई भी सरकारी योजना का क्रियान्वयन नहीं होता है.

क्यों महत्वपूर्ण था माओवादियों के लिए बूढ़ा पहाड़: झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद बूढ़ा पहाड़ मांओवादियों का रेड कॉरिडोर था. इलाका बिहार के माओवादियों को झारखंड छत्तीसगढ़ उड़ीसा के इलाके से जोड़ता था. बूढ़ा पहाड़ माओवादियों का सारंडा और छकरबंधा का ट्राईजंक्शन था. इस इलाके में माओवादी अपना ट्रेनिंग कैंप चलाते थे और बिहार और झारखंड के इलाके में कैडर को भेजते थे. 2013-14 में एक करोड़ के इनामी माओवादी देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद बूढ़ा पहाड़ को बिहार झारखंड के लिए यूनिफाइड कमांड बनाया था. 2013-14 से इस इलाके से माओवादियों को मुक्त करवाने में एक दर्जन से अधिक जवान शहीद हुए हैं. बूढ़ापहाड़ पर पहुंचना सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती थी, सुरक्षाबलों ने बूढ़ा पहाड़ को चारों तरफ से लैंड माइन से घेर रखा था लेकिन, इस बार सुरक्षाबलों ने योजना बनाकर बूढ़ा पहाड़ पर कब्जा जमाया है.

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