पलामू: झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ सीमा पर नक्सलियों की रीढ़ कमजोर हो गई है (Jharkhand Bihar and Chhattisgarh border). अब माओवादियों के पास टॉप नेतृत्वकर्ता भी नहीं बचे हैं. कभी इस इलाके में माओवादियों के टॉप कमांडर पूरे बिहार और झारखंड में नक्सल संगठनों का नेतृत्व करते थे. झारखंड गठन के बाद इस इलाके में माओवादियों के खिलाफ कई बड़े अभियान चले हैं. नतीजा है कि अब इस इलाके में कोई भी एक करोड़ का इनामी नक्सली नहीं बचा है (Naxalites weakened in Jharkhand).
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27 अक्टूबर 2022 को नक्सली संगठनों के इनामी कमांडरों को लेकर सूची जारी हुई है. इस सूची में इस इलाके में कोई भी सक्रिय टॉप माओवादी कमांडर एक करोड़ का इनामी नहीं है. माओवादियों की झारखंड, बिहार और उत्तरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमिटी में देश, दूसरा सबसे अधिक हथियार बंद कैडर था. उससे अधिक सिर्फ बस्तर के इलाके में ही माओवादियों के पास कैडर मौजूद थे. कभी इस इलाके में एक करोड़ का इनामी माओवादी अरविंद, सुधाकरण और प्रशांत बोस सक्रिय थे. 2018 में अरविंद की मौत हो गई थी, जबकि 2019 में सुधाकरण ने तेलंगाना में आत्मसमर्पण कर दिया था, वहीं 2021 में प्रशांत बोस को झारखंड पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
झारखंड में 128 नक्सलियों की सूची में तीन हैं एक करोड़ के इनामी: झारखंड सरकार ने 128 नक्सलियों पर इनाम की घोषणा की है. इनमें से तीन नक्सली ही एक करोड़ के इनामी हैं. मिसिर बेसरा, असीम मंडल और पतिराम मांझी वे तीन नक्सली हैं जिनपर एक करोड़ रुपये का इनाम है. तीनों ही झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ से सटे सीमावर्ती इलाके में सक्रिय नहीं हैं.