पलामू:चतरा सीमा पर पोस्ता की खेती करने वाले नक्सली लगातार पुलिस को ट्रैप करने की कोशिश कर रहे हैं. इसका खुलासा उस वक्त हुआ जब पलामू पुलिस पोस्ता की खेती के खिलाफ अभियान चला रही थी. पुलिस के अनुसार यह साजिश नक्सलियों की है या पोस्ता की खेती करने वालों की, इस बिंदु पर पुलिस अधिकारी पैनी नजर बनाए हुए हैं.
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रास्ते में लगाई जा रही है बड़ी बड़ी कील
पलामू-चतरा सीमा का इलाका पोस्ता के खेती के लिए चर्चित रहा है. यह इलाका अतिनक्सल प्रभावित है. पूर्व में पुलिस के जांच में यह खुलासा हो चुका है कि माओवादी और टीएसपीसी जैसे संगठनों के संरक्षण में पोस्ता की खेती हो रही है. पोस्ता के खिलाफ अभियान के दौरान पलामू पुलिस को कई सबूत मिले हैं, जिसमें यह बात सामने आई है कि पुलिस को ट्रैप करने की कोशिश हुई है. फरवरी के पहले सप्ताह में पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के केदल के इलाके में पुलिस ने पोस्ता की खेती के खिलाफ अभियान शुरू किया था. इस अभियान में केदल में पोस्ता की खेती तक जाने वाले रास्ते पर बड़ी-बड़ी कील गाड़ी गई थी. इस कील से अभियान में शामिल एक ट्रैक्टर को नुकसान हुआ था.
अफीम की खेती नष्ट करते पुलिसकर्मी पुलिस को ट्रैप करने की कोशिश
वहीं, एक अन्य इलाके के रास्ते पर बड़े-बड़े गढ्ढे खोद दिए गए थे. पुलिस को आशंका है कि नक्सली पुलिस को ट्रैप करने के लिए लैंड माइंस लगा सकते हैं. मनातू के थाना प्रभारी संतोष कुमार सिंह बताते हैं कि लगातार अभियान जारी है. ट्रैप करने की कोशिश की जा सकती है, लेकिन अभियान के दौरान एसओपी का पालन किया जा रहा है. पलामू चतरा सीमा पर पिछले 5 वर्षों में एक हजार एकड़ से भी अधिक में लगे पोस्ता के फसल को नष्ट किया गया है, साथ ही 471 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है. पलामू एसपी संजीव कुमार बताते हैं कि पोस्ता के खिलाफ लगातार अभियान जारी है. फसल नष्ट करने से पहले एसओपी का पालन करते हुए अभियान शुरू किया जाता है. मामले में कई कांड दर्ज हुई है. अभियान के क्रम में आईडी वैगरह का खतरा होता है, इसलिए पूरी सावधानी बरती जाती है.
पोस्ता के खिलाफ अभियान जारी