झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

माओवादियों के गढ़ में बुलेट का जवाब बैलेट से देने को तैयार हैं ग्रामीण - लोकसभा चुनाव 2019

पलामू में नक्सलियों के गढ़ में बुलेट की आवाज अब इतिहास बन गई है. पुलिस की ओर से बनाए गए कैंप की वजह से ग्रामीण अब डरे सहमे नहीं रहते. ग्रामीणों का कहना है कि पहले नक्सली वोट बहिष्कार की चेतावनी देते थे. पर अब हम वोट जरूर डालेंगे. अब यहां उनका प्रभाव नहीं है.

गांव में वोटिंग की तैयारी

By

Published : Apr 21, 2019, 4:41 PM IST

पलामू: नक्सलियों के गढ़ में बुलेट की आवाज अब इतिहास बन गई है, अब ग्रामीण बूट के आवाज के फ्रेंडली हो गए हैं. यह बदलाव पलामू के झारखंड-बिहार सीमा से सटे दर्जनों गांव में हुआ है. अब गांव में वोट बहिष्कार की चेतवानी देने वाले माओआदियों का प्रभाव कम हो गया है.

देखें वीडियो

डरते थे ग्रामीण
गांव के नव युवक, महिला, बुजुर्ग वोट देने को लेकर उत्साहित हैं. ग्रामीण कहते हैं कि वोट डालेंगे पुलिस कैंप से बदलाव आया है और सरकार ने माहौल को बदला है. पलामू में माओवादियों के भय से पांच दर्जन से अधिक मतदान केंद्रों को बदल दिया जाता था, जिस कारण बड़ी आबादी वोट नहीं दे पाती थी. वोट देने वाले ग्रामीणों को 16 से 20 किलो मीटर का सफर करना पड़ता था. वहीं माओवादियों के वोट बहिष्कार से भी वे डर जाते थे.

कई ग्रामीण पहली बार वोट देंगे
पलामू के डगरा, चेतमा, रायबार, महूदण्ड, माहूर, पथरा, सरसोत, सलैया, मंसुरिया जैसे पांच दर्जन से अधिक गांव में पहली बार मतदान केंद्र बनाया गया है. माओआदियों के भय से इन गांव के मतदान केंद्र को बदल दिया जाता था. रायबार के नारायण यादव के परिवार में पांच सदस्य हैं. वह बताते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव में परिवार से सिर्फ इन्होंने ने ही वोटिंग किया था. वोटिंग के लिए उन्हें तीन घंटे का पैदल सफर तय कर सरईडीह जाना पड़ा था. लेकिन वे इस बार खुस हैं परिवार के सभी सदस्य वोट देंगे.

अबकी बार जमकर वोटिंग
वहीं, डगरा के लखन यादव बताते हैं कि माओवादियों के एक फरमान के बाद लोग वोट देने नहीं जाते थे, इतना ही नहीं गांव में कोई प्रचार करने नहीं आता है. लेकिन पुलिस कैंप की स्थापना से बदलाव हुआ है, अबकी बार जमकर वोटिंग होगी. वह बताते हैं कि इस बार किसी का डर भी नहीं है.

पहली बार लोकसभा चुनाव का प्रचार
2014 के लोकसभा चुनाव में माओवादियों के वोट बहिष्कार की धमकी के बाद उनके प्रभाव वाले गांव में वोटिंग 30% से भी कम हुई थी. पिछले पांच वर्षों में पलामू में बड़ा बदलाव हुआ है, कई इलाके में माओवादियों का प्रभाव बेहद कम हो गया है. पांच वर्षों में झारखंड-बिहार सीमा और आंतरिक भागों में एक दर्जन से अधिक पुलिस कैंप की स्थापना की गई है. कैम्प के स्थापना के बाद माओवादी गतिविधि खत्म हो गई है. नौडीहा बाजार जैसे प्रखंड में पहली बार लोकसभा चुनाव का प्रचार हो रहा है.

ये भी पढ़ें-रांची: स्वर्णरेखा नदी में डूबने से दो मासूम बच्चों की मौत

वोट को लेकर ग्रामीणों में उत्साह
पलामू रेंज के डीआईजी विपुल शुक्ला बताते हैं कि सारा बदलाव कैंप की स्थापना के बाद हुआ है. पुलिस लोकतंत्र के इस महापर्व में शांतिपूर्ण चुनाव के लिए कई कदम उठा रही है. वोट को लेकर ग्रामीणों में उत्साह है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details