झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

पलामू: नाबालिगों के साथ हो रहे अपराध को लेकर पुलिस गंभीर, 49 मुकदमों में होगा स्पीडी ट्रायल

पलामू में नाबालिगों के साथ हो रहे अपराध को लेकर पुलिस मुख्यालय गंभीर है. जिले में दर्ज पॉक्सो एक्ट के तहत सभी मामलों की समीक्षा की गई.

cases registered under sections of POCSO
cases registered under sections of POCSO

By

Published : Aug 4, 2023, 8:43 PM IST

Updated : Aug 5, 2023, 4:04 PM IST

पलामू:2017 के बाद से पलामू में पोक्सो के कई मामलों में सजा हुई है. शुरुआत में जो आंकड़ा निकल कर आया था उससे सजा का कई गुणा है आंकड़ा. शुरुआत की खबर में जो आंकड़े मिले थे वह गलत हैं. माननीय न्यायालय पॉक्सो से जुड़े मामलों में सुनवाई तेजी से कर रही है और अभियुक्तों को सजा मिल रही है. राज्य में महिला और बाल अपराध को लेकर पुलिस गंभीर हो गई है.

यह भी पढ़ें:यौन शोषण के शिकार बच्चों को न्याय दिलाने के लिए स्पेशल यूनिट, 606 थानों में होगी तैनाती

शुक्रवार को राज्य पुलिस मुख्यालय ने पॉक्सो की धाराओं में दर्ज मामलों में समीक्षा की है. पलामू, गढ़वा और लातेहार के विभिन्न थानों में दर्ज पॉक्सो एक्ट के मुकदमों की भी समीक्षा की गई. समीक्षा के बाद पलामू के 30, लातेहार में 12 जबकि गढ़वा के 7 पॉक्सो के मुकदमे में अनुसंधान को पूरा पाया गया है. सभी मुकदमों में आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए योजना तैयार की जा रही है.

ETV BHARAT GFX

पुलिस पॉस्को से जुड़े हुए पीड़तों की गवाही, साक्ष्य को इकट्ठा करने के साथ साथ गवाहों को कोर्ट में प्रस्तुति के लिए अभियान चलाया जा रहा है. पोक्सो की धाराओं में दर्ज एफआईआर गंभीर अपराध की श्रेणी में है, इसके मुकदमों को लेकर हाईकोर्ट के साथ-साथ सरकार भी गंभीर है. पाक्सो के मामलों में स्पीडी ट्रायल के माध्यम आरोपियों को सजा दिलवायी जा रही है. नाबालिक के साथ यौन शोषण को लेकर 2012 में पोक्सो कानून बनाया गया है.

क्या है पॉक्सो कानून?: नाबालिग के साथ यौन शोषण को लेकर 2012 में पॉक्सो कानून बनाया गया था. इसके तहत नाबालिग के साथ यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामले में यह धारा लगती है. यह धारा बच्चों के साथ यौन शोषण, पोर्नोग्राफी जैसी गंभीर अपराधों में सुरक्षा प्रदान करती है. मामले में पुलिस पहले आरोपी को गिरफ्तार करती है, उसके बाद मामले में जांच शुरू की जाती है. पॉक्सो की धाराओं में सात साल की सजा से लेकर उम्र कैद की सजा का प्रावधान है. इस मामले से जुड़े हुए पीड़ितों की पहचान जाहिर नहीं की जाती है. शुरुआत में पॉक्सो की धाराओं में मौत की सजा नहीं थी. लेकिन 2019 में संशोधन करते हुए मौत की सजा का भी प्रावधान कर दिया गया है.

Last Updated : Aug 5, 2023, 4:04 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details