पलामूः जिला सुखाड़ की चपेट (drought like conditions) में है, हर स्तर से पलामू को सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने की मांग उठने लगी है. इन सब के बीच पलामू जिला प्रशासन ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है. पलामू में सुखाड़ की आहट के बीच पुराने जल स्रोतों का जीर्णोद्धार करने की पहल की गई है. जिला प्रशासन पलामू के सभी पानी के स्त्रोत को दुरुस्त करने के लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया है. पलामू डीसी ए दोड्डे (Palamu DC A Dodde) ने डीडीसी समेत सभी अधिकारियों को एक्शन प्लान तैयार (district administration Action plan) करने को कहा है.
पलामू में सुखाड़ की आहटः जल स्रोतों की मरम्मती के लिए बन रहा एक्शन प्लान - पलामू जिला प्रशासन
सुखाड़ की आहट के बीच पलामू में जल स्रोतों की मरम्मती (Initiative to repair water sources) की पहल शुरू कर दी गयी है. इसको लेकर जिला प्रशासन की ओर से एक्शन प्लान तैयार (district administration Action plan) किया जा रहा है.
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इस संबंध में डीसी ने बताया कि जिला प्रशासन पूरे हालात पर नजर बनाए हुए है. उन्होंने बताया कि कई कोष के माध्यम से पुराने जल स्रोतों को जीर्णोद्धार करने की पहल की जा रही, मामले में अधिकारियों को कई निर्देश जारी किए गए हैं.
पलामू में 1500 के करीब जल स्रोतः पलामू में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 1500 जल स्रोत हैं. जिनमें से कई बड़ी परियोजनाए हैं, जो दशकों से अधूरी है. पलामू जिला प्रशासन ने फिलहाल छोटे जल स्रोतों को जीर्णोद्धार करने का फैसला लिया है. जिनमें तालाब, नहर, पोखर, डोभा शामिल है. जिला प्रशासन ने कई इलाकों में 200 से अधिक चेक डैम बनवाया है, सभी की मरम्मत के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
इस बार मानसून में पलामू में औसत से 83 प्रतिशत कम बारिश (low rainfall in Monsoon) हुई है. जिस कारण धान की रोपनी करीब दो प्रतिशत ही हो पायी है. जिला में 51 हजार हेक्टेयर में धान रोपने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन दो प्रतिशत से भी कम धान की रोपनी हुई है. पलामू में 1.11 हेक्टयर में फसल लगाई जाती है लेकिन बारिश के कमी के कारण 15 हेक्टेयर से भी कम में फसल लगाई गयी है. जिला के विभिन्न जल स्त्रोतों की मरम्मती के बाद हल्की बारिश से भी पानी को बचाया जा सकेगा.