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पशुओं की तरह बसों में भर कर घर भेजे जा रहे मजदूर, घंटों भूखे रहने को हैं मजबूर

लॉकडाउन के दौरान हजारों प्रवासी मजदूर झारखंड पहुंच रहे हैं. डालटनगंज रेलवे स्टेशन को प्रवासी मजदूरों के लिए बोर्डिंग बनाया गया है, जहां राज्यभर के प्रवासी मजदूर पंहुच रहे हैं. मजदूरों को घरों तक पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन एक ही बस में लगभग 100 मजदूरों को बैठाकर भेज रहा है. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की भी धज्जियां उड़ाई जा रही है.

Hundreds of migrant laborers reached Daltenganj railway station
सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां

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Published : May 15, 2020, 11:28 AM IST

पलामू: ट्रेनों और अन्य माध्यम से हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर झारखंड पहुंच रहे हैं. पलामू में भी प्रवासी मजदूर अपने-अपने घर पहुंच रहे हैं. डालटनगंज रेलवे स्टेशन को प्रवासी मजदूरों के लिए बोर्डिंग बनाया गया है, जहां राज्यभर के प्रवासी मजदूर पंहुच रहे हैं. सरकार दावा कर रही है कि मजदूरों को घर तक पंहुचाने के लिए बस और अन्य वाहन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, लेकिन सरकार के दावों से अलग मजदूरों के साथ पशुओं जैसा व्यवहार किया जा रहा है. उन्हें घंटों भूखा प्यासा रखा जा रहा है, साथ ही सोशल डिस्टेंस की भी धज्जियां उड़ाई जा रही है.

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48 सीटों की क्षमता वाले बस में 100 मजदूरों को भेजा जा रहा घर, घंटों रह रहे हैं भूखे

गुरुवार को नागपुर और अमरावती से श्रमिक स्पेशल ट्रेन पलामू पंहुची थी. ट्रेन से पलामू के साथ-साथ संथाल के मजदूर बड़ी संख्या में पहुंचे थे. साहेबगंज जिला से विभिन्न संसाधन से 200 से अधिक प्रवासी मजदूर पलामू पहुंचे थे, लेकिन उनके लिए सिर्फ एक बस थी. एक बस में किसी तरह लगभग 100 मजदूरों को चढ़ाकर घर भेजा गया, जबकि बाकी के मजदूरों को दूसरे जिला के बस में भेजा गया. सभी मजदूर लगभग 20 घंटे का सफर जान जोखिम में डालकर करने को मजबूर है. बस के ड्राइवर का साफ कहना है कि उन्हें बोला गया है कि सभी मजदूरों को इसी बस में ले जाना है, मजबूरी है सभी को लेकर जाएंगे.

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सोशल डिस्टेंस की उड़ रही धज्जियां, घंटों भूखे रह रहे हैं मजदूर

पलामू में ट्रेन से पंहुचने वाले प्रवासी मजदूरों को स्टेशन पर पलामू जिला प्रशासन लिट्टी पानी का पैकेट दे रही है. उसके बाद मजदूर घंटों भूखे रह रहे हैं. मजदुरों को 20 से 25 घंटे तक भूखे रहना पड़ रहा है. बसों में भर-भर के मजदूरों को घर भेजा जा रहा है. बसों में घर भेजे जाने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की भी धज्जियां उड़ाई जा रही है.

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