पलामू: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पहली बार नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले बूढ़ापहाड़ पर ध्वजारोहण किया गया. बूढ़ापहाड़ पर पिछले तीन दशक से माओवादियों का कब्जा था. जनवरी फरवरी 2023 में बूढ़ापहाड़ को माओवादियों से मुक्त करवाया गया. 77वें स्वतंत्रता दिवस पर मंगलवार को बूढ़ापहाड़ पर सीआरपीएफ के अधिकारियों ने पहली बार ध्वजारोहण किया. इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों के साथ सुरक्षाबलों ने तिरंगा यात्रा भी निकाली.
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स्वतंत्रता दिवस पर बूढ़ापहाड़ पर पहली बार तिरंगा फहराया गया है और सलामी दी गई है. स्वतंत्रता दिवस को लेकर इलाके में पहली बार उत्साह है. इससे इस इलाके में माओवादियों का प्रभाव था. सुरक्षाबलों के कब्जा से पहले माओवादी इलाके में विरोध सप्ताह मनाते थे. बूढ़ापहाड़ और उसके आस पास के 12 से 14 गांव में ध्वजारोहण नहीं होता था.
पलामू रेंज के आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि यह सुखद है कि बूढ़ापहाड़ इलाके में बदलाव हो रहा है. इलाके में तैनात पुलिस एवं सुरक्षाबल सुरक्षित माहौल तैयार कर रहे हैं और लोगों को मुख्य धारा से जोड़ रहे हैं. सीआरपीएफ के डीआईजी पंकज कुमार ने बताया बूढ़ापहाड़ के इलाके में ग्रामीणों का हौसला बढ़ा है.
केंद्रीय रिजर्व बल की तरफ से इलाके के ग्रामीणों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी जा रही है. बूढ़ापहाड़ इलाके में सितंबर अक्टूबर 2022 से माओवादियों के खिलाफ अभियान ऑक्टोपस शुरू किया गया था. जनवरी-फरवरी 2023 में सुरक्षाबलों ने बूढ़ा पहाड़ को खाली करवा दिया था. 26 जनवरी को पहली बार बुढ़ापहाड़ पर गणतंत्र दिवस पर झंडोत्तोलन हुआ था. बूढ़ापहाड़ के इलाके में सीआरपीएफ, कोबरा और झारखंड जगुआर की 18 से भी अधिक कंपनियां तैनात हैं.