पाकुड़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत (Self Reliant India) के सपने को दुर्गम पहाड़ों और जंगलों में रहने वाले आदिवासी पहाड़िया साकार करने में जुटे हुए हैं. ये लोग पत्ता प्लेट का कारोबार से न केवल खुद आत्मनिर्भर हो रहे हैं, बल्कि गांव के अन्य लोगों को भी आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ रोजगार दे रहे हैं. आदिवासी और आदिम जनजाति पहाड़िया समाज की महिलाएं दिन-रात कड़ी मेहनत कर पीएम के मोदी के सपने को साकार करने में लगी हुई हैं.
इसे भी पढे़ं: पाकुड़ में पुल टूटने पर ठेकेदारों ने क्यों बोला झूठ, अब मंत्रीजी क्या बोल रहे हैं, जानिए पूरी खबर
जिले के अमड़ापाड़ा और लिट्टीपाड़ा प्रखंड के सुदुरवर्ती ग्रामीण इलाकों में रहने वाले खासकर आदिवासी एवं आदिम जनजाति पहाड़िया महिलाएं पहले वनोत्पादों का दोहन कर अपने परिवार का भरण पोषण करती थीं, लेकिन कोरोना के दस्तक देने के बाद से पहाड़ों और जंगलों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति समाज की इन महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने के ठान ली. इन महिलाओं ने पत्ता प्लेट का कारोबार शुरू कर दिया. ये महिलाएं जंगलों से ही साल का पत्ता इकट्ठा करती हैं और प्लेट बनाकर साप्ताहिक हाटों के अलावे होटलों में बेचती हैं, जिससे उनकी अच्छी खासी कमाई भी हो जाती है. पत्ता प्लेट कारोबार से सैकड़ों ग्रामीण महिलाएं जुड़ी हुई हैं.
महिलाएं पत्ता बनाकर बच्चों की कर रहीं परवरिश
कोरोना काल से पहले ये महिलाएं वनोत्पादों का दोहन कर किसी तरह परिवार चलाती थीं, लेकिन अब वो पत्ता प्लेट बेचकर महीने में हजारों रुपये कमा रही हैं, जिससे न केवल उनके जीवनस्तर में बदलाव आया है, बल्कि उनके बच्चों की परवरिश भी पहले से बेहतर तरीके से हो रही हैं.