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Pakur News: हूल दिवस पर छात्र छात्राओं ने निकाली झांकी, शहीदों को दी श्रद्धांजलि - jharkhand news

पाकुड़ में धूमधाम से 168वां हूल दिवस मनाया गया. इस मौके पर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो को याद कर श्रद्धांजलि दी गई. शहर में रैली निकाले गए. जिले के अधिकारी से लेकर हर पार्टी के नेताओं ने शहीदों को नमन किया.

Hull Day in Pakur
Hull Day in Pakur

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Published : Jun 30, 2023, 1:43 PM IST

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पाकुड़:जिले में 168वां हूल दिवस धूमधाम से मनाया गया. हूल दिवस के मौके पर छात्र-छात्राओं सहित आदिवासी समाज के लोगों ने रैली निकाली और पूरे शहर का भ्रमण किया. जिला मुख्यालय के सिदो-कान्हू मुर्मू पार्क में स्थापित शहीद सिदो-कान्हू, चांद भैरव की प्रतिमा पर डीसी वरुण रंजन, एसपी हृदीप पी जनार्दन, एसडीओ हरिवंश पंडित, एसडीपीओ अजित कुमार विमल के अलावे जिला और प्रखंडस्तर के अधिकारियों ने माल्यार्पण किया और शहीदों को नमन किया.

यह भी पढ़ें:अंग्रेजों के खिलाफ 1855 में आदिवासियों ने की थी हूल क्रांति, 20 हजार लोगों ने दी थी प्राणों की आहूति

सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने भी निकाली रैली: संथाल परगना हूल समिति के अलावे कुमार कालीदास मेमोरियल कॉलेज, राज प्लस टू विद्यालय के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने गोकुलपुर और रानी ज्योतिर्मयी स्टेडियम से रैली निकाली जिसने पूरे शहर का भ्रमण किया. छात्र छात्राओं ने सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो की झांकी भी निकाली. रैली शहर के भ्रमण के बाद पार्क पहुंची, जहां सिदो-कान्हू और चांद-भैरव की स्थापित प्रतिमा की पूजा अर्चना की गयी और माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

वहीं भारतीय जनता पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, आजसू, लोजपा सहित कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और कई लोग पार्क पहुंचे और शहीदों की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और श्रद्धांजलि दी. इधर जिले के लिट्टीपाड़ा में विधायक दिनेश विलियम मरांडी ने भी शहीद सिदो-कान्हू और चांद-भैरव की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. जिले के हिरणपुर, अमड़ापाड़ा, महेशपुर, पाकुड़िया प्रखंड में भी हजारों लोगों ने शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो को याद किया.

स्वतंत्रता संग्राम का पहला आंदोलन संथाल हूल: बता दें कि वर्ष 1855 में आदिवासियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हूल क्रांति की थी और देश में पहला आंदोलन संथाल हूल के नाम से जाना जाता है. इस हूल क्रांति में सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो झानो ने अपना बलिदान दिया था, जिसे आज भी खासकर झारखंड के संथाल परगना में विशेष रूप से याद किया जाता है.

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