पाकुड़: जिले में अवैध खनन से बांसलोई नदी का अस्तित्व संकट में आ गया है. यह नदी अब सूखने की कगार पर आ गई है. अधिकारियों और बालू माफिया ने नियम-कानूनो को ताख पर रखकर यहां खनन कराया है. अगर बांसलोई नदी के अस्तित्व को बचाने की दिशा में कोई सार्थक कदम शासन और प्रशासन ने समय रहते नहीं उठाया, तो आने वाले दिनो में यह नदी इतिहास के पन्नों में रह जाएगी. आस-पास के गांव में जलस्तर भी काफी नीचे चला गया है.
ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में बन रहे मकानों और सरकार की विकास योजनाओं में इस नदी से बालू का दोहन किया गया है. इस नदी की बालू निकटवर्ती पश्चिम बंगाल भी ले जाई जाती है. बीते कई सालों से पर्यावरणीय स्वच्छता की शर्तो का उल्लंघन कर बालू का खनन इस तरह किया गया कि आज नदी में पानी नहीं बचा है. बांसलोई नदी के आस-पास के बाबूपुर, लखीपुर, ग्वालपाड़ा, नुराई, कार्तिकपाड़ा, रोलाग्राम, विष्टुपुर, धोवरना, कुलबोना, चंडालमारा, घाटचोरा, कैराक्षतर सहित दर्जनों गांव के ग्रामीणों को गरमी के मौसम में लोग पानी से परेशान हैं.