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6 साल पहले शुरू की गई शहरी जलापूर्ति योजना का हाल बेहाल, पानी की समस्या से नहीं मिली निजात

सरकार कई योजनाओं को शुरू तो कर देती है, लेकिन उसे बीच में ही छोड़ देती है. जिसके कारण कई योजनाएं अधूरी रह जाती है. पाकुड़ में भी शहरी जलापूर्ति योजना का काम शुरू तो कर दिया गया, लेकिन इसे भी बीच में अधूरा छोड़ दिया गया. इस कारण लोगों को पानी की समस्या से निजात नहीं मिल सका.

शहरी जलापूर्ति योजना का हाल बेहाल

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Published : Jun 22, 2019, 1:19 PM IST

पाकुड़: जिले में 6 साल पहले शुरू की गई शहरी जलापूर्ति योजना का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. यह योजना 34 करोड़ रुपए की है और इस कार्य को वित्तीय वर्ष 2012-13 में शुरू किया गया था. इस योजना का पूरा नहीं होना कहीं ना कहीं शासन और प्रशासन की नाकामियों को बताने और जताने के लिए काफी है.

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पांच महीने बाद झारखंड राज्य में विधानसभा के चुनाव होने है और चुनाव के वक्त पेयजल समस्या से परेशान शहरी और ग्रामीण लोग सत्तापक्ष को कहीं पानी पानी न कर दे, इसके लिए सरकार ने भी एक नया रास्ता चुना है. अब ग्रामीण क्षेत्रों पर सरकार का ज्यादा फोकस है. जिले के 125 पंचायतों में सोलर आधारित पेयजल आपूर्ति की जायेगी.

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जिले के एकमात्र नगर परिषद क्षेत्र पाकुड़ के पाकुड़ राज हाईस्कूल रोड, मद्यपाड़ा, बैंक कॉलोनी, श्यामनगर जैसे दर्जनों मोहल्ले है, जहां लोग पानी के लिए परेशान है. शहरी जलापूर्ति योजना का काम अब तक पूरा नहीं होने के कारण कई मोहल्ले के लोगों को पानी खरीदना पड़ता है. वहीं, जिले के एक महत्वपूर्ण योजना 217 करोड़ की ग्रामीण वृहद जलापूर्ति योजना लिट्टीपाड़ा प्रखंड के लिए शुरू की गई है. इसका भी हाल बेहाल है.

वहीं, योजना को लेकर नगर परिषद अध्यक्ष संपा साहा ने कहा कि काम आचार संहिता लागु रहने के कारण भी काम प्रभावित हुआ है. उन्होंने कहा कि तेजी से काम हो रहा है और जल्दी लोगों के घरों तक पीने का पानी पहुंचाया जा सके, इस दिशा में काम किया जा रहा है.

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