लोहरदगा:गर्मी ने अभी ठीक से दस्तक भी नहीं दी है और लोहरदगा में पानी का संकट गहराने लगा है. हर साल जलस्तर तेजी से गिर रहा है और इस बार तो हालात ऐसे हैं कि मार्च में ही दोनों प्रमुख नदियां सूख चुकी हैं. नदियों में पानी की जगह सिर्फ रेत नजर आ रही है.
हर साल होता है जलसंकट, नहीं हुआ समस्या का निदान
लोहरदगा में परिवारों की कुल संख्या लगभग एक लाख है. इसमें शहरी क्षेत्र में 15 हजार और ग्रामीण क्षेत्रों में 85 हजार परिवार रहते हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक लोहरदगा की कुल आबादी 4,61,790 थी जिसमें शहरी क्षेत्र की आबादी 57,411 थी. लोहरदगा शहरी क्षेत्र में 2011 में 10 हजार से ज्यादा परिवार रहते थे.
शहरी क्षेत्रों में 2011 से लेकर अब तक करीब 26% आबादी बढ़ी है लेकिन उस अनुसार जनसुविधाएं नहीं बढ़ी. हर साल पेयजल की समस्या होती है लेकिन इसका कोई निदान नहीं हुआ. लोहरदगा की प्रमुख नदियां कोयल और शंख के गिरते जलस्तर से यह समस्या और विकराल होती जा रही है.
शंख नदी में मार्च महीने में ही पानी सूख गया है. यह भी पढ़ें:जल जीवन मिशन के तहत साहिबगंज को दो करोड़ रुपए मिले, जलसंकट का होगा समाधान
बालू उठाव से बढ़ी परेशानी
लोहरदगा में बालू के ज्यादा उठाव की वजह से नदियों का जलस्तर नीचे जा रहा है. जिले में 11 जगहों पर बालू उठाव को लेकर लीज जारी किया गया था. हालांकि, वर्तमान में सिर्फ एक जगह लीज दी गई है. इसके बावजूद हालात बदतर होते जा रहे हैं. कोयल और शंख प्रमुख नदियों पर न सिर्फ शहरी जलापूर्ति योजना निर्भर करती है, बल्कि दोनों नदियों के आसपास बसे गांव में भी जलापूर्ति होती है.
कोयल और शंख नदी से शहरी जलापूर्ति योजना के लिए चार इंटक वेल निर्माण को लेकर पहल हुई जिसमें 2 का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. एक का निर्माण अंतिम चरण में है और एक का निर्माण शुरू हुआ है. हर साल भीषण गर्मी के दौरान जलसंकट गहराता है और इस समस्या को लेकर कई बार स्थानीय लोग प्रदर्शन भी करते हैं लेकिन इसका कोई समाधान नहीं होता.
इंटक वेल से सिर्फ 10 से 15 दिनों तक ही जलापूर्ति हो सकती है. सारी योजनाएं धीर-धीरे हो रहीं फेल
लोहरदगा के ग्रामीण क्षेत्रों में साढ़े छह हजार और शहरी क्षेत्र में 419 हैंडपंप है. इसके अलावा लगभग हर गांव में एक सोलर आधारित जलापूर्ति योजना भी संचालित है. इसके बावजूद हैंडपंप, कुआं और जलापूर्ति योजना सब धीरे-धीरे फेल होती जा रही है. लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ता है.
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इंटक वेल के भरोसे कैसे होगी जलापूर्ति ?
जलापूर्ति को लेकर जब सवाल उठते हैं तब नगर परिषद की तरफ से कहा जाता है कि इंटक वेल में पानी है. 15 दिन पानी सप्लाई किया जा सकता है. लेकिन, बड़ी समस्या है कि इंटक वेल के भरोसे जलापूर्ति नहीं हो सकती. एक अनुमान के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में 5 लाख गैलन पानी की जरूरत है लेकिन आपूर्ति महज ढाई लाख गैलन ही हो पाती है. ज्यादातर लोग हैंडपंप और सार्वजनिक कूप के भरोसे पानी के लिए निर्भर हैं. नगर परिषद की तरफ से हर बार यह बात कही जाती है कि समस्या के निराकरण को लेकर पहल की जा रही है और बैठक भी चल रही है.