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धान की हुई दोगुनी पैदावार, किसानों के चेहरे पर मुस्कान

लोहरदगा कृषि प्रधान जिला है. यहां के अधिकतर लोग कृषि का कार्य कर ही अपना जीवन यापन करते हैं. जिला में इस बार धान की पैदावार बहुत अच्छी हुई है, जिससे किसानों के चेहरे खिलखिला उठे हैं. धान की अच्छी बेहतर पैदावार होने के बाद अब किसानों को सरकार की पहल का इंतजार है. सरकार ने भी किसानों के धान खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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धान की अच्छी पैदावार

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Published : Oct 29, 2020, 5:10 PM IST

लोहरदगा: जिला में कृषि ही किसानों के आय का मुख्य साधन है. लोहरदगा जिले में 55070 हेक्टेयर जमीन पर खेती होती है. इसमें से 47 हजार हेक्टेयर में धान आच्छादन का लक्ष्य रखा गया था. इसके विपरीत 45108 हेक्टेयर में धान की पैदावार भी हुई. धान की पैदावार बेहतर मानी जा रही है. हर साल लोहरदगा में कम बारिश की वजह से धान की 60 से 70 प्रतिशत ही पैदावार हो पाती थी, लेकिन इस बार धान की बेहतर पैदावार ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान है.

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बेहतर पैदावार से किसान हैं खुशलोहरदगा जिले में धान की बेहतर पैदावार से किसान काफी खुश हैं. कोई भी ऐसा किसान नहीं है जिसकी दोगुनी पैदावार ना हुई हो. जिला में 15 प्रतिशत से भी कम सिंचित भूमि है. ऐसे में हर साल किसानों को कम बारिश की वजह से फसलों को सिंचाई के भरोसे खेती के लिए निर्भर रहना पड़ता था. बारिश नहीं हुई तो खेतों में पटवन करने वाला किसान ही पैदावार कर पाता था. इस बार मानसून के समय में बारिश होती रही. किसानों को सिंचाई की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा. बेहतर बारिश से पैदावार भी दोगुनी हुई. किसानों को अब फसल देखकर यह खुशी हो रही है कि उनकी मेहनत बेकार नहीं गई है.
धान की अच्छी पैदावार
किसानों के चेहरे पर मुस्कान

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अब सरकार की पहल का इंतजार
धान की बेहतर पैदावार होने के बाद अब किसानों को सरकार की पहल का इंतजार है. किसान चाहते हैं कि सरकार जल्द से जल्द धान की खरीद शुरू करे. इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से भी पहल प्रारंभ कर दी गई है. जिला प्रशासन के ओर से किसानों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें किसानों से जिला प्रशासन अपील कर रही है कि किसान किसी भी बिचौलियों के हाथों धान की बिक्री ना करें, सरकार इस बार दो हजार रुपए प्रति क्विंटल धान की खरीद करेगी. इसके लिए 15 नवंबर से धान खरीद प्रारंभ होने की उम्मीद है. किसान चाहते हैं कि जल्द से जल्द धान की खरीद शुरू हो, जिससे धान बेचकर वह अपनी जरूरत का सामान खरीद सकें.

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