लोहरदगा: सड़कें विकास का पैमाना मानी जाती हैं. लेकिन जिले के सुदूरवर्ती सलगी पंचायत के धौंरा गांव को देख कर लगता है कि विकास की रोशनी अब तक यहां नहीं पहुंची है. यहां के ग्रामीणों को एक बेहतर सड़क तक नसीब नहीं है. सड़क के नाम पर जगह-जगह पत्थरों से भरा हुआ बस एक रास्ता है. पत्थरों से भरा हुआ यह रास्ता किसान, पढ़ाई करने वाले बच्चे और दशकों से विकास का इंतजार कर रहे ग्रामीणों की फूटी किस्मत को बयां करता है. इन लोगों को सड़क निर्माण को लेकर सिर्फ वादे ही सुनने को मिलते हैं. ना तो कोई देखने आता है और ना ही किसी ने उनकी परेशानी को दूर करने की कोशिश की है.
यह भी पढ़ें:5G के जमाने में झारखंड में नहीं मिलता 2G नेटवर्क, गरीबों के निवाले पर भी मंडराता है संकट
कई दशक पहले हुआ था सड़क का निर्माण: कई दशक पहले यहां पर आधी-अधूरी सड़क का निर्माण किया गया था. ग्रेड वन और ग्रेड टू करने के बाद भी सड़क का पक्कीकरण नहीं हुआ. कहीं-कहीं कुछ निर्माण काम हुआ भी तो वह टूट कर बिखर गया. सड़क पर वाहन चलाना तो दूर की बात, पैदल चलना भी बेहद मुश्किल है. कई बार पैदल चलते वक्त भी ग्रामीण सड़क पर ठोकर खाकर गिर पड़ते हैं और उन्हें गंभीर चोट आती है. सड़क की हालत इतनी खराब है कि अधिकारी तो अधिकारी जनप्रतिनिधि भी कभी इस ओर देखना नहीं चाहते.
विकास की किरण कोसों दूर: ऐसा लगता है जैसे यह गांव और यह क्षेत्र देश, राज्य और जिला के नक्शे पर कहीं है ही नहीं. कोई इनकी समस्या को जानने और सुनने नहीं आता. पहाड़ी और जंगली इलाकों से सटा हुआ क्षेत्र होने की वजह से यहां विकास की किरण दिखाई नहीं देती है. बाजार आने-जाने, बच्चों को स्कूल आने-जाने और लोगों को दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रखंड और जिला मुख्यालय आने-जाने के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ता है. हालत इतनी बदतर है कि ग्रामीण अपने आप को और अपनी किस्मत को कोसते हुए नजर आते हैं. हालांकि उन्हें उम्मीद है कि यह सड़क बनेगी और सड़क बनने के साथ ही उनकी कई समस्याओं का निराकरण भी होगा.