लोहरदगा: जिले में भ्रष्टाचार की दलदल में एक अस्पताल ही दफन हो गया. करोड़ों की राशि बर्बाद हो गई. ना तो अस्पताल भवन पूरा हुआ और ना ही किसी को याद भी है कि कोई अस्पताल भवन बन रहा था. मामले में जांच हुई, जांच के नाम पर लीपापोती और आज उस अस्पताल को हर कोई भूल चुका है. लोहरदगा जिले के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था की सबसे बड़ी इकाई के रूप में शुरू हुई यह योजना पूरा होने से पहले ही दम तोड़ चुकी है. स्वास्थ्य विभाग को तो यह भी जानकारी नहीं है कि कोई ऐसा अस्पताल बन भी रहा था. हालांकि, स्थानीय लोगों को टीस जरूर है कि अस्पताल बन जाता तो इलाज के लिए उन्हें भटकना नहीं पड़ता.
शंख नदी तट पर बन रहा था यह अस्पताल
करोड़ों रुपए की लागत से आज से 15 साल पहले ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के माध्यम से लोहरदगा-रांची मुख्य पथ स्थित शहर के सीमाने से दूर शंख नदी तट पर अस्पताल भवन का निर्माण किया जा रहा था. तब विभाग के मुखिया जिला अभियंता थे. जिला अभियंता को ही ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता की जिम्मेवारी दी गई थी. यहां पर सिविल सर्जन कार्यालय, सिविल सर्जन आवास, मनो चिकित्सालय, नेत्र चिकित्सालय, अस्पताल भवन और पोस्टमार्टम हाउस भवनों का निर्माण किया गया जा रहा था. बनते बनते योजना कभी पूरी ही नहीं हुई.
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अस्पताल तक जाने के वाला पुल साल भर में बहा