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लातेहारः एक गांव ऐसा है जहां नहीं होता पलायन, जानिए वजह

लातेहार का ललगड़ी गांव समाज के लिए उदाहरण है. जहां से मजदूरों और किसानों का पलायन नहीं होता है. यहां के लोग खेती और पशुपालन करके आत्मनिर्भर बन रहे हैं.

Villagers becoming self-sufficient through farming and animal husbandry in Latehar
खेती करते ग्रामीण

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Published : Mar 12, 2021, 11:52 AM IST

Updated : Mar 13, 2021, 5:33 PM IST

लातेहारः रोजगार की तलाश में मजदूरों का पलायन सिर्फ लातेहार जिला के लिए ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड राज्य के लिए एक बड़ी समस्या है. पलायन कर बाहर जाने वाले मजदूरों को बाहरी राज्यों में कई प्रकार की परेशानियों और प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है. लातेहार जिला का ललगड़ी एक ऐसा गांव है जहां से मजदूरों का पलायन बिल्कुल नहीं होता. यहां के ग्रामीण खेती और पशुपालन करके आत्मनिर्भर बन चुके हैं.

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झारखंड राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का भारी अभाव है. ऐसे में अशिक्षित या फिर थोड़ी शिक्षा ग्रहण करने वाले ग्रामीणों के समक्ष रोजगार की समस्या बनी रहती है. स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिलने की वजह से मजदूर घर-परिवार छोड़कर मजदूरी करने के लिए बाहर चले जाते हैं. अभी-भी कुछ ऐसे गांव हैं जहां के लोग अपने बलबूते पर गांव में ही रोजगार की तलाश कर ले रहे हैं. ऐसा ही एक गांव लातेहार जिला के सदर प्रखंड में स्थित है. ललगड़ी गांव में लगभग डेढ़ सौ परिवार गांव में ही खेती और पशुपालन के सहारे स्वरोजगार करते हैं. इस गांव से मजदूरी के लिए कोई भी पलायन नहीं करता है.

खेत में काम करते ग्रामीण
गांव में सालों भर होती है खेतीइस गांव में ग्रामीण सालों भर अपने खेतों में कुछ ना कुछ खेती करते हैं. इस वजह से ग्रामीण अपने खेतों में ही व्यस्त रहते हैं, जिससे उन्हें पलायन करने की मजबूरी नहीं होती. ग्रामीण खेती और पशुपालन के सहारे अच्छी आमदनी कर लेते हैं, जिससे उनकी जिंदगी खुशहाल है. ग्रामीण रामू सिंह और पिंटू सिंह ने बताते हैं कि वो लोग गांव में ही खेती और पशु पालन करते हैं. जिससे उन्हें रोजगार की तलाश में बाहर नहीं जाना पड़ता है. किसानों ने कहा कि उनके गांव में मौसम के हिसाब से सब्जी का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर होता है. वहीं ग्राम प्रधान रामेश्वर सिंह ने कहा कि खेती और पशुपालन के सहारे इस गांव के सभी लोग खुशहाल हैं. उन्होंने कहा कि गांव से पलायन नहीं होने से गांव में किसी भी व्यक्ति को कोरोना नहीं हुआ.
अपने खेत में काम करती महिला
प्रकृति प्रेमी हैं ग्रामीणपूरी तरह आदिवासी बहुल इस गांव की एक और पहचान प्रकृति प्रेमी के रूप में भी है. गांव के प्रत्येक घर में कम से कम एक पेड़ अवश्य लगा रहता है. वहीं यहां के ग्रामीण अपने आसपास के जंगलों की रक्षा भी करते हैं.
बंधगोभी की फसल

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डीसी ने कहा- देंगे और लाभ
डीसी अबु इमरान ने कहा कि सरकार ने ग्रामीणों को घर में ही रोजगार के लिए कई योजनाएं चला रखी है, इसके अलावा स्वरोजगार के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की ओर से ऋण योजना भी चलाई जा रही है. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत ग्रामीणों को स्वरोजगार के लिए ₹50000 से लेकर 25 लाख रुपए तक ऋण दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ललगड़ी गांव के लोग प्रेरणा स्रोत है. इस गांव को विभिन्न योजनाओं से अच्छादित कर ग्रामीणों को और भी लाभ दिया जाएगा.
रोजगार और पलायन एक तरफ जहां पूरे राज्य के लिए समस्या बनी हुई है, वहीं ललगड़ी गांव के ग्रामीण इस समस्या का समाधान खुद ही खेती और पशुपालन को आजीविका का साधन बना लिया है. जरूरत इस बात की है कि ललगड़ी गांव से सीख लेकर अन्य गांव के ग्रामीण भी खेती पशुपालन के अलावे अन्य स्वरोजगार से जुड़े.

Last Updated : Mar 13, 2021, 5:33 PM IST

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