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लातेहार में माओवादियों का बंद दिखा बेअसर, दूसरे दिन भी आम रहा जन जीवन

लातेहार में माओवादियों के बंद के दूसरे दिन भी कोई असर नहीं दिखा है. पूरे जिले में आवागमन सामान्य है और व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी खुले हुए हैं. इससे जाहिर होता है कि अब यहां नक्सलियों का कोई खौफ नहीं है.

ED preparing to interrogate IAS Chhavi Ranjan
ED preparing to interrogate IAS Chhavi Ranjan

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Published : Apr 15, 2023, 9:23 AM IST

लातेहार: भाकपा माओवादियों के द्वारा आहूत दो दिवसीय बंदी का असर दूसरे दिन भी नहीं के बराबर दिख रहा है. हालांकि जिले के महुआडांड़ और गारू प्रखंड में यात्री वाहनों के परिचालन में बंदी का कुछ प्रभाव दिख रहा है, लेकिन अन्य इलाके में बंदी पूरी तरह बेअसर है. इधर बंदी को लेकर पुलिस दूसरे दिन भी पूरी तरह अलर्ट मोड में दिखी.

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चतरा जिले के कुंदा में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए पांच माओवादियों की मौत को लेकर माओवादियों ने दक्षिणी बिहार और पश्चिमी झारखंड के 14 तथा 15 अप्रैल को बंद रखने का फरमान जारी किया था. बंद को लेकर माओवादियों ने घोषणा की थी कि अति आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी प्रकार के वाहनों का परिचालन और व्यावसायिक गतिविधियां बंद रहेंगी. लेकिन माओवादियों का यह फरमान लातेहार जैसे जिले में बेअसर दिख रहा है. लातेहार जिला मुख्यालय समेत अधिकांश प्रखंडों में जनजीवन और यातायात पूरी तरह सामान्य है. सभी यात्री वाहनों के अलावे रेल का परिचालन भी सामान्य रूप से हो रहा है.

स्कूल कॉलेज और व्यवसायिक प्रतिष्ठान खुले रहे:माओवादी बंदी की घोषणा के बावजूद जिले के अधिकांश प्रखंडों में स्कूल और कॉलेज के अलावे सभी प्रकार की व्यवसायिक प्रतिष्ठान भी खुले रहे. लातेहार में कुछ व्यवसायियों से पूछने पर उन्होंने कहा कि माओवादी बंदी की जानकारी उन्हें नहीं है. वहीं कुछ अन्य लोगों ने कहा कि पहले माओवादी बंदी का असर होता था, लेकिन अब इस प्रकार की बंदी का कोई असर नहीं होता है. प्रसिद्ध पर्यटक स्थल बेतला नेशनल पार्क और नेतरहाट में भी बंदी का असर नहीं के बराबर है.

सूनी हो जाती थी सड़कें:आज से लगभग 10 वर्ष पहले तक नक्सलियों का डर आम लोगों के मन में इतना था कि उनके एक फरमान से सड़के सूनी हो जाती थीं. लोग अपने घरों से बाहर भी निकलना मुनासिब नहीं समझते थे. बड़े यात्री वाहनों की तो बात ही छोड़िए दो पहिया वाहन भी लेकर ग्रामीण घर से बाहर नहीं निकलते थे, लेकिन धीरे-धीरे नक्सलियों का डर अब लोगों के मन से जाने लगा है. ऐसे में बंदी का असर भी अब काफी कम रहता है.

इधर, नक्सली बंदी को देखते हुए सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस के द्वारा लगातार सड़कों पर पेट्रोलिंग की जा रही है. सुरक्षाबलों को भी पूरी तरह अलर्ट रखा गया है. संभावित स्थानों पर सुरक्षा बलों और पुलिस के द्वारा छापामारी भी की जा रही है.

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