लातेहार: जिले में जंगली जानवरों का आतंक इन दिनों चरम पर है. सबसे अधिक आतंक जंगली हाथियों ने मचा रखा है. जंगली हाथियों ने बीती रात भी बालूमाथ प्रखंड के विभिन्न गांव में जमकर उत्पात मचाया और ग्रामीणों के घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया. वहीं खेतों में लगाए गए फसलों को बर्बाद कर दिया. हाथियों के इस आतंक से ग्रामीण आक्रोशित हैं. गौरतलब है कि पिछले उत्पात में चार लोगों की मौत गुमला में हो चुकी है.
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सोमवार रात जंगली हाथियों ने एक बार फिर मुरपा पंचायत में पहुंचकर देर रात तक उत्पात मचाया. हाथियों ने इस दौरान गांव में तीन आदिवासी मजदूरों के घर को भी क्षतिग्रस्त कर दिया. मजदूर मुन्ना उरांव, विशु उरांव मनोज उरांव ने बताया कि वह लोग घर में सो रहे थे, इसी दौरान अचानक जंगली हाथियों के चिंघाड़ने की आवाज सुनकर उनकी नींद खुली. इस दौरान हाथियों ने उनके घर को क्षतिग्रस्त करते हुए घर में रखे अनाज को खा गए. यह तो गनीमत रही कि समय रहते उनकी नींद खुल गई थी, जिससे उनकी जान बच गई. यदि नींद खुलने में थोड़ी भी देर हो जाती तो स्थिति और भयावह होती.
फसलों को किया बर्बाद:इसके बाद हाथियों का झुंड हुंदराटांड़ टोला पहुंचा. जहां गांव के कई किसानों ने अपने खेतों में मौसमी खेती कर रखी थी. हाथियों ने किसानों के लगाए गए फसलों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया. इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है. किसान दिलीप भगत बताते हैं कि हाथियों ने गांव के किसानों के लगाए गए फसलों को जिस प्रकार बर्बाद किया है, उससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने वन विभाग से मांग की है कि किसानों और ग्रामीणों को हुए नुकसान का आकलन कर उन्हें अविलंब मुआवजा दिया जाए.
हाथियों का उत्पात, विभाग लाचार:गौरतलब है कि लातेहार जिले के बालूमाथ प्रखंड अंतर्गत मुरपा, गणेशपुर, मारंगलोइया आदि गांव में पिछले कई दिनों से जंगली हाथियों का आतंक चरम पर है. हाथियों का उत्पात विगत कई दिनों से लगातार जारी है. हाथियों ने बालूमाथ और चंदवा प्रखंड में अब तक लाखों रुपये की फसलों को बर्बाद कर दिया है. कई ग्रामीणों के घरों को भी ध्वस्त कर दिया है. चार से अधिक ग्रामीणों की मौत हाथी के हमले के कारण हो गई है. इसके बावजूद विभाग हाथियों को भगाने में सफल नहीं हो पा रहा है.
हाथियों को भगाने के लिए टीम नहीं:बताया जाता है कि झारखंड राज्य में हाथियों को भगाने के लिए विशेषज्ञ कर्मी नहीं है. हाथियों को भगाने के लिए प. बंगाल से टीम को बुलाया जाता है. एक-दो बार वन विभाग के द्वारा प. बंगाल से टीम को बुलाई भी गई, परंतु हाथियों पर कंट्रोल नहीं हो सका. हालांकि विभाग ने समय-समय पर ग्रामीणों के बीच बचाओ सामग्री का वितरण किये जाते रहे हैं. ग्रामीणों को हुए नुकसान का आकलन कर उन्हें सरकारी प्रावधान के तहत मुआवजा देने की बात भी विभाग ने कही. इधर वन विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि ग्रामीणों को जो भी नुकसान हो रहा है, उसका आकलन कर सरकारी प्रावधान के तहत मुआवजा दिया जाएगा.