लातेहार:ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने की योजना भले ही सरकार की प्राथमिक सूची में हो, धरातल पर यह योजना पूरी तरह नहीं उतर पाई है. लातेहार सदर प्रखंड के नवागढ़ गांव में स्थित राजा मेदनी राय का किला है. उनके शासनकाल को पलामू और आसपास के क्षेत्रों के लिए स्वर्णिम युग माना जाता था, राजा का किला आज खंडहर में बदल गया है.
स्वर्णिम युग था राजा मेदनी राय का कार्यकाल
चेरो राजवंशी राजा मेदनी राय का कार्यकाल 1658 से लेकर 1674 तक रहा. अपने 16 वर्ष के कार्यकाल के दौरान राजा मेदनी राय ने अखंड पलामू में कई स्थानों पर अपना किला बनवाया था. इन्हीं में से एक नवागढ़ का किला भी है. राजा अक्सर यहां आकर रुकते थे और यहीं से शासन व्यवस्था भी चलाते थे. कहा जाता है कि राजा रात में वेश बदलकर आम जनता के बीच जाते थे और उनकी समस्याएं सुनते थे. कोई भी किसी कष्ट में होता था तो राजा उसकी समस्या का तत्काल समाधान कर देते थे. बताया जाता है कि राजा अपने प्रत्येक प्रजा को गाय और भैंस पालने की सलाह देते थे. गरीबों को वो मुफ्त में गाय और भैंस देते थे. इसी कारण से उनके कार्यकाल में पूरे इलाके में दूध की नदियां बहती थी. मेदनी राय युवा समिति के अध्यक्ष अवधेश सिंह चेरो ने बताया कि राजा मेदनी राय अपने बेहतर कार्य प्रणाली के कारण पूरे क्षेत्र की जनता के हृदय में बसते थे.
पलामू किला था राजा का गढ़
राजा मेदनी राय का मुख्य किला पलामू किला के नाम से प्रचलित था, लेकिन नवागढ़ किला भी उनका एक महत्वपूर्ण किला था. स्थानीय लोगों का कहना है कि नवागढ़ किला सुरंग के माध्यम से सीधे पलामू किला से जुड़ता है, लेकिन कालांतर में सुरंग का मुंह बंद हो गया है. स्थानीय निवासी हरिओम प्रसाद बताते हैं कि राजा के पूर्वज आज भी उनकी कहानियों को सुन कर उत्साहित हो जाते हैं.