कोडरमा: जिले में वाइल्ड लाइफ फॉरेस्ट के रेंजर राम बाबू के तुगलकी फरमान के कारण आदिम जनजाति के दर्जनों स्कूली बच्चों को घंटों धूप में खड़ा रहना पड़ा. रेंजर रामबाबू ने वाइल्ड लाइफ एरिया से होकर गुजरने वाला स्कूल वैन जब्त कर लिया, जिसके कारण बच्चे शिक्षा के अधिकार से भी वंचित रह गए. स्कूल वैन जब्त कर लिए जाने के बाद स्कूली बच्चे वाइल्ड लाइफ फॉरेस्ट कार्यालय के बाहर खड़े रहे और वैन छोड़ने की मांग करते रहे. सभी स्कूली बच्चे कोडरमा नगर पंचायत के वार्ड नंबर 1 फुलवरिया और डुमरियाटांड़ के रहने वाले हैं.
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घनघोर जंगल के बीच स्थित है गांव: दरअसल, कोडरमा का फुलवरिया और डुमरियाटांड़ गांव घनघोर जंगल के बीच स्थित है. यह दोनों गांव नगर पंचायत के वार्ड नंबर एक का हिस्सा है. इन गांव तक जाने वाला रास्ता वाइल्ड लाइफ एरिया से होकर गुजरता है. वाइल्ड लाइफ एरिया होने के कारण इस गांव तक पहुंचने के लिए ना तो सड़क है और ना ही गांव में बिजली पानी की सुविधा है. साथ ही इन गांवों में सैकड़ों आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के लोग निवास करते हैं. ये लोग असुविधाओं के बीच अपने बच्चों को किसी तरह पढ़ाने लिखाने की चाहत रखते हैं. रेंजर के इस तुगलकी फरमान से ये लोग नाराज हैं. सभी अभिभावक वैन छोड़ने की मांग करते रहे. स्कूली बच्चों के अभिभावकों का गुस्सा लाजमी है, लेकिन स्कूल वैन को रोके जाने के बाबत रेंजर राम बाबू के पास कोई जवाब नहीं है. पहले तो पूछे जाने पर उन्होंने कुछ भी कहने से साफ मना कर दिया, लेकिन जब कुछ कहा भी तो बच्चों को रोके जाने के सवाल पर माकूल जवाब रेंजर साहब नहीं दे पाए.
रास्ते से होता है अवैध पत्थरों को परिवहन: बता दें कि जिस वाइल्ड लाइफ एरिया में आने जाने के लिए स्कूल वैन को रोका गया, उस रास्ते पत्थर से लेकर माईका की कई गाड़ियां अवैध रूप से आती जाती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि जंगली जानवरों का भविष्य बचाने की बात कहकर इन मासूम स्कूली बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने के लिए रेंजर साहब तुगलकी फरमान कैसे जारी कर सकते हैं, जबकि बड़ी बड़ी गाड़ियों के खिलाफ वे कोई कार्रवाई नहीं करते हैं.