खूंटी:जिले में जगली हाथियों का झुंड उत्पात मचा रहा है. शौच के लिए गई महिला को पटक कर हाथियों ने मार डाला. इसके साथ ही उनके शव को भी हाथियों ने क्षत विक्षत कर दिया. वहीं हाथियों को भगाने निकले ग्रामीणों को हाथियों ने दौड़ा दिया. जिससे छह लोग घायल हो गए. दोनों घटनाएं जिले के अलग-अलग जगहों पर हुईं. जिले के वन प्रमंडल क्षेत्र के तमाड़ से लेकर रनिया और कर्रा क्षेत्र में दर्जनों हाथियों का झुंड भ्रमणशील है, जो भारी उत्पात मचा रहा है.
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जानकारी के अनुसार, सोमनवार की सुबह कर्रा प्रखंड के छाता गांव निवासी 68 वर्षीय मोटकी देवी शौच के लिए जंगल गई थीं. इसी दौरान एक जंगली हाथी ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया. जिससे उनकी मौत हो गई. वहीं जरियागड़ क्षेत्र में झुंड से भटका एक जंगली हाथी उत्पात मचा रहा था, जिसे गांव के ग्रामीणों ने भगाने की कोशिश की. लेकिन कुछ दूर जाने के बाद ही हाथी ने ग्रामीणों को ही दौड़ा दिया. जिससे भागने के दौरान छह ग्रामीण घायल हो गए. सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मृतक महिला के परिजनों को आर्थिक सहयोग कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. जबकि घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया गया है.
वन विभाग उपलब्ध करा रही मदद का सामान: डीएफओ कुलदीप मीणा ने बताया कि वन प्रमंडल क्षेत्र में हाथियों की एक्टिविटी बढ़ी है. क्षेत्र में लगे धान की खेती को खाने के लिए हाथी जंगल से निकल कर भ्रमण कर रहे हैं. जिससे ग्रामीण भयभीत हैं, लेकिन उनकी क्षतिपूर्ति के लिए वन विभाग तत्काल मुआवजा दे रही है. साथ ही हाथियों से बचने के लिए ग्रामीणों को जरूरत के सामान भी उपलब्ध करा रही है. डीएफओ ने बताया कि हाथियों को भगाने के लिए वन विभाग भी लगातार काम कर रही है.
तमाड़ में भी हाथियों का आतंक:इधर, वन प्रमंडल क्षेत्र के रांची जिले के तमाड़ थाना क्षेत्र के जिलिंगसेरेंग गांव के पास भी तड़के जंगली हाथियों से लोगों का सामना हो गया. ग्रामीणों ने ट्रैक्टर से हाथियों को गांव से दूर भगाया. 30 से 40 की संख्या में हाथी अलग-अलग झुंड में पिछले कई महीनों से इस क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं और खेतों में लगे धान और सब्जी को रौंद कर बर्बाद कर रहे हैं. ग्रामीण बताते हैं कि शाम ढलते ही हाथी गांव में घुस कर घरों को तोड़ कर अनाज भी चट कर जा रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र के लोग सालों से हाथियों के आतंक से परेशान हैं. वन विभाग कभी-कभी पटाखे उपलब्ध कराती है, जो हाथियों से निजात के लिये काफी नहीं हैं. ग्रामीण अपने स्तर से रतजगा कर अपनी जान माल की रक्षा करते हैं.