खूंटीः जिले के कन्या मध्य विद्यालय सभागार में रविवार को लिंग आधारित हिंसा के विरुद्ध राष्ट्रीय अभियान कार्यक्रम का आयोजन खूंटी में किया गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि झारखंड उच्च न्यायालय के जस्टिस डॉ एसएन पाठक उपस्थित थे. इस दौरान विश्वासी टोपनो और चंद्रावती ने घरेलू हिंसा और डायन प्रताड़ना के खिलाफ लोगों को जागरूक किया.
सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक कियाः इस मौके पर झारखंड उच्च न्यायालय के जस्टिस डॉ एसएन पाठक ने महिलाओं के बीच परिसंपत्तियों का वितरण किया और हिंसा के खिलाफ हमेशा आवाज बुलंद करने की सामूहिक शपथ दिलाई. जस्टिस डॉ एसएन पाठक ने उपस्थित दीदियों से कहा कि आदिवासी के नाम पर दबे-कुचले होने की मानसिकता से आज बाहर निकलने की जरूरत है. न्याय होने से ज्यादा जोर न्याय के दिखने पर हो और यह तभी संभव है, जब सभी प्रकार की कुरीतियां दूर हो जाएंगी. हमारा संविधान हमारे लिए है. न्याय प्रणाली यहां के लोगों के लिए है. जस्टिस पाठक ने कहा कि खूंटी में बदलाव सिर्फ आधारभूत संरचनाओं को खड़ा करने से नहीं हो सकता, बल्कि अंतिम पायदान पर खड़े लोग विशेषकर महिलाओं को राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाकर और उनमें न्याय प्रणाली की भूमिका सुनिश्चित करने से होगा.
महिला उत्पीड़न से जुड़ी घटनाओं को रोकने की जरूरतःमहिलाओं को संबल प्रदान करने के लिए खूंटी में पिछले एक दशक में हुए परिवर्तन की चर्चा करते हुए जस्टिस एसएन पाठक ने कहा कि अपने दौरे के क्रम में उनका मुख्य जोर स्थानीय कोर्ट और उसके पदाधिकारियों के साथ-साथ जिला प्रशासन से मिलकर महिलाओं के उत्थान से जुड़े कार्यक्रमों के आयोजन पर रहा है, ताकि महिलाओं को आसानी से अन्य जिलों और राज्य से जोड़ा जा सके. इस दिशा में हुए सकारात्मक पहल से कई बदलाव भी हुए हैं, लेकिन अभी भी अक्सर होने वाली महिला उत्पीड़न से संबंधित कई घटनाएं इस प्रयास को धक्का पहुंचा रही हैं.
खूंटी के लिए कार्यक्रम का विशेष महत्व-डीसीःवहीं खूंटी डीसी लोकेश मिश्रा ने कहा कि खूंटी जिले के लिए यह कार्यक्रम विशेष महत्व रखता है. चूंकि आज भी कुछ क्षेत्रों में डायन-बिसाही के मामले, घरेलू हिंसा और मानव तस्करी के मामले आते रहते हैं.
महिलाएं समाज के निर्माण में निभा रहीं अहम भूमिकाः वहीं इस मौके पर खूंटी व्यवहार न्यायालय के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सत्य प्रकाश ने कहा कि महिलाएं ही अपनी प्राथमिक रिस्पॉसिब्लिटी समझती हैं. महिलाएं परिवार चलाती हैं, घर संभालती हैं और समाज के निर्माण में अपनी भूमिका निभाती हैं. महिलाएं ही घर की मेकर हैं.