खूंटी: काला हीरा (कोयला) के लिए मशहूर झारखंड अब काला सोना (अफीम) को लेकर बदनाम हो रहा है. झारखंड के कई जिलों में अफीम की खेती और उसके बाद तस्करी की खबरे आए दिन सामने आती रहती है. अफीम की खेती और तस्करी से केवल युवा और दूसरे नशाबाज ही प्रभावित नहीं हो रहे हैं बल्कि इसका असर पुलिस जवानों पर भी पड़ रहा है. अफीम के खेत में लगातार कार्रवाई से पुलिसवाले बीमार पड़ रहे हैं.
ये भी पढ़ें- खूंटी में लहलहा रहे अफीम के खेत, जिला प्रशासन मामले से अनजान
खूंटी में अफीम की खेती
खूंटी जिले के विभिन्न इलाकों मुरहू,अड़की और मारंगहादा थाना क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सैकड़ों एकड़ खेत और जंगलों के बीच अफीम की खेती की जाती रही है. जिसका पता चलने पर प्रशासन के द्वारा खेतों को नष्ट भी किया जाता रहा है. लेकिन प्रशासन की यही कार्रवाई पुलिस जवानों पर भारी पड़ रही है. अफीम नष्ट करने के दौरान फसल से निकलने वाली महक और दूध के छींटे उनके आंख और फेफड़ों को खराब कर रहे हैं. जवानों के मुताबिक अफीम की दूध से आंखों में जलन होने लगता है. इसके अलावे अफीम के खेत में लगातार डंडा चलाने से उससे निकलने वाली महक भी श्वसन प्रक्रिया पर विपरित असर डाल रही है. जवानों के अनुसार ऐसे खेतों में कार्रवाई के बाद आंखों में धुंधलापन, सर भारी होना, नींद का नहीं आना जैसी समस्या आम हो गई है.