खूंटी: जिले में प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी अवैध बालू उत्खनन और परिवहन का कार्य नहीं रुक रहा था, लेकिन जैसे ही पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप ने इंट्री मारी अवैध खनन माफिया क्षेत्र से गायब हो गए. बालू घाटों से लेकर सड़कों तक सन्नाटा पसर गया. कल तक जिन सड़को से दर्जनों हाइवा फर्राटे से चलते थे, आज उन्हीं सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. इससे पहले लगातार आरोप लगाए जा रहे थे कि प्रशासन बालू माफियाओं को रोकने में नाकाम रहा.
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रनिया, तोरपा और कर्रा प्रखंड क्षेत्र के जिन नदियों से कुछ वक्त बालू का उत्खनन होता था, वहां आज एक भी जेसीबी मौजूद नहीं है और ना ही कोई आदमी मौजूद है. अवैध खनन करने वाले माफिया स्थानीय प्रशासन के अप्रत्यक्ष सहयोग से बालू का अवैध खनन करते थे. लेकिन, अब पीएलएफआई से कैसे समन्वय बनाया जाए ये चिंता माफियाओं को सता रही है. कहा जा सकता है कि बिल्ली के गले मे घंटी कौन बांधे. पीएलएफआई से अगर माफिया तालमेल कर धंधा शुरू भी कर दें तो पुलिस तालमेल जोड़ने वाले को दबोच लेगी और अगर सिस्टम से तालमेल जोड़ ले तो पीएलएफआई उन्हें नहीं छोड़ेगी.
पीएलएफआई से बात करने की कोशिश में जुटे माफिया: सूत्र बताते हैं कि माफिया पीएलएफआई से सामंजस्य स्थापित करने की जुगत में लगे हुए हैं, लेकिन फिलहाल कोई पहल नहीं होने से अवैध बालू का खनन पूरी तरह ठप है. खूंटी जिले का तोरपा, रनिया और कर्रा के अलावा मुरहू के क्षेत्रों में दशकों से अवैध खनन बदस्तूर जारी था. प्रशासन के लाख कोशिशों के बावजूद तस्करी नहीं रुक रही थी. पुलिस कभी कभार कुछ हाइवा भले ही पकड़ ले, लेकिन तस्करी रोकने में कामयाब नहीं हो पाई. मगर, पीएलएफआई की इंट्री से ही सब बंद हो गया.
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परे क्षेत्र में इस बात को लेकर चर्चा है कि पीएलएफआई संगठन का फोन आने के तीसरे दिन एक हाइवा ने एसडीओ को रौंदने की कोशिश की, लेकिन एसडीओ बाल-बाल बच गए. हालांकि मामले पर कर्रा थाना में एफआईआर दर्ज करवाई जा चुकी है, लेकिन माफिया सिस्टम की पकड़ से कोसों दूर हैं. ऐसे में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. पीएलएफआई ने भी बातचीत के बाद बालू का उठाव और परिहवन करने की बात कही है. पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप ने कुछ दिन पहले जिले में मीडियाकर्मियों को फोन करके बताया था कि बिना बातचीत किये किसी भी तरह का बालू का उठाव और परिवहन नहीं किया जाएगा, नहीं तो अंजाम बुरा होगा.