खूंटीः मां दुर्गा की महिमा अपरंपार है. खूंटी के जनजातीय बहुल अतिनक्सल प्रभावित सुदूर और दुर्गम इलाकों में रहने वाले आदिवासी भी शक्ति की पूजा बड़े ही भक्ति भाव से करते हैं(durga puja celebration in khunti). यहां आदिवासी समुदाय के लोग(Tribal Durga Puja ) बड़ी संख्या में मां दुर्गा की आराधना करते हैं. इनके पूजा करने का अलग तरीका है.
जिले के खूंटी प्रखंड क्षेत्र के लांदुप पंचायत के सिरूम, सिलादोन पंचायत के चितरामु और जिकी गांव में दुर्गा पूजा बड़ी ही धूमधाम से की जाती है. इन क्षेत्रों के कुछ गांव टोले ऐसे हैं जहां मान्यता है कि शक्ति की देवी दुर्गा मां की आराधना से ही इलाके में सुख, समृद्धि और ताकत मिलती है. यही नहीं दुर्गा माता हमे अनाज देती है, जिससे हमारा समुदाय जीवित है. इसलिए दुर्गा पूजा धूमधाम से की जाती है.
अश्विन माह के शुक्लपक्ष के प्रतिपदा से ही नवरात्रि की शुरुवात होती है. नवरात्र के आरंभ होने के बाद षष्ठी से बेल वरण के साथ आदिवासी समुदाय के मानकी और मुंडा परिवार के लोग अपने घरों में दुर्गा पूजा की तैयारियां में जुट जाते हैं. पारंपरिक रीति रिवाज से दुर्गा पूजा की जाती है लेकिन सप्तमी, अष्टमी और नवमी की पूजा के लिए पंडितों को बुलाया जाता है. ग्रामीण बताते हैं कि कई पीढ़ियों से दुर्गा पूजा मनाते आ रहे हैं और हमारी पीढ़ी भी दुर्गा पूजा करती है.
दुर्गा पूजा के लिए गांवो में पंडाल नहीं बनते जबकि घरों में ही दुर्गा मां की प्रतिमा स्थापित की जाती है और पूरे रीति रिवाज से पूजा पाठ होता है. आदिवासी समुदाय के लोग तीन दिनों का उपवास करते हैं और नवमी को बकरा या भैंसा की बलि दी जाती है. उसके बाद उपवास खत्म होता है. समाजसेवी अर्जुन साहू बताते हैं कि क्षेत्र के सिरूम, चितरामु और जिकी के अलावा बुंडू तमाड़ के कुछ आदिवासी मुंडा मानकी भी दुर्गा पूजा मनाते रहे हैं.
मान्यताओं के बारे में बात करते स्थानीय