खूंटी: जिले के अधिकारियों की प्राथमिकता में लगता है सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा नहीं है, लेकिन निजी अस्पतालों की सुरक्षा पर ज्यादे ध्यान देते हैं. सदर अस्पताल जिले का सबसे व्यस्ततम अस्पताल है, जहां रोजाना हजारों मरीज इलाज करवाने पहुंचते हैं. इस अस्पताल की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, बल्कि एनएच किनारे बने एक निजी अस्पताल की सुरक्षा के लिए आधी सड़क बंद कर दी गई है.
बैरिकेडिंग लगाना नियमों के विरुद्ध
इस निजी अस्पताल की सुरक्षा में लगाये गए बैरिकेडिंग की वजह से आधी सड़क ब्लॉक हो जाती है, जिससे गाड़ी चालकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. आखिर एक निजी अस्पताल के लिए बैरिकेडिंग किसके आदेश पर लगाया गया. इसका जवाब किसी के पास नहीं है. ईटीवी भारत की टीम ने जब सिविल सर्जन को इसकी जानकारी दी तो उन्होंने बैरिकेडिंग हटवाने की बात कही है. नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के नियमों की बात करें तो सड़कों पर किसी प्रकार की ठोकर या बैरिकेडिंग लगाना नियमों के विरुद्ध माना गया है, लेकिन जिले के एनएच 75 पर बेतरतीब ठोकर से जानमाल का नुकसान हो रहा है, साथ ही निजी अस्पताल के बाहर बैरिकेडिंग करने से दुर्घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
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नियमों की धज्जियां
रांची का पड़ोसी जिला खूंटी में नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती है और कोई सुधारने वाला नहीं है. रांची-खूंटी मुख्य पथ से रोजाना जिले के लगभग सभी अधिकारियों का आवागमन होता है, लेकिन इसे देखकर भी अनदेखा करना शायद जिले के अधिकारियों की फितरत में है. ईटीवी भारत किसी विभागीय अधिकारी पर आरोप नहीं लगा रहा है, बल्कि उन्हें आईना दिखाने की कोशिश कर रहा है कि कैसे जिले के मुख्य सड़कों पर ठोकर बना दिये गए. कैसे एनएच पर बैरिकेडिंग की गई. एनएच पर क्या जरूरत है बैरिकेडिंग करने की. एनएच पर बने ठोकर से बढ़ती दुर्घटनाओं की खबर ईटीवी ने सबसे पहले प्रकाशित किया था. उसके बाद डीसी शशि रंजन ने एक सप्ताह के भीतर ठोकर हटाने का आदेश दिया है, साथ ही निजी अस्पताल के बाहर लगे बैरिकेडिंग को भी हटाने की बात कही है.