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गरीबी से तंग आकर महिला ने बच्चे सहित खुद को लगाई आग, मामले ने लिया राजनीतिक रंग

जामताड़ा में गरीबी ने फिर दो लोगों की जान ले ली. जिले में गरीबी का दंश झेल रहे एक आदिवासी महिला ने अपने 8 महीने के बच्चे के साथ आत्महत्या कर ली. घटना के बाद मामले ने राजनीतिक रूप लेना शुरू कर दिया है.

गरीबी से तंग आकर महिला ने बच्चे सहित खुद को लगाई आग
Woman burned herself with child to poverty in Jamtara

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Published : Oct 12, 2020, 1:45 PM IST

जामताड़ा: जिले में गरीबी का दंश झेल रही एक आदिवासी महिला ने अपने 8 महीने के बच्चे के साथ आत्महत्या कर ली. इस मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है. घटना के बाद भाजपा जिला अध्यक्ष सोमनाथ पीड़ित परिवार से मिलने उसके घर पहुंचे और सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की मांग की. वहीं, सत्तापक्ष के विधायक और प्रशासन पीड़ित परिवार की सुध लेने पहुचं और पीड़ित परिवार को हर संभव सहयोग करने का भरोसा दिलाया.


पीड़ित परिवार को सहयोग दिलाने का भरोसा

मामला नाला विधानसभा क्षेत्र के सूर्या पानी गांव का है, जहां विशाखा मुर्मू नाम की एक आदिवासी महिला ने अपने 8 महीने के बेटे के साथ आग लगा ली, जिससे मां-बेटा दोनों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. घटना के बारे में बताया जाता है कि पारिवारिक परिस्थिति खराब होने की वजह से महिला अपने बेटे का इलाज नहीं करवा पा रही थी. जिससे परेशान होकर उसने यह कदम उठाया. घटना की जानकारी पाकर झारखंड विधानसभा अध्यक्ष और नाला विधानसभा विधायक रवींद्रनाथ महतो पीड़ित परिवार से मिले और आर्थिक सहयोग प्रदान किया. साथ ही सरकार से हर संभव सहयोग दिलाने का भरोसा दिलाया. उन्होंने इस घटना को अत्यंत ही दुखद बताया.

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झारखंड सरकार पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप

घटना के बाद उप विकास आयुक्त प्रिय रंजन लकड़ा पीड़ित के घर पहुंचे और उनका हाल जाना. इस दौरान उन्होंने प्रशासन स्तर से पीड़ित परिवार को सरकारी लाभ दिलाने की बात कही. मामले की सूचना पर भाजपा जिला अध्यक्ष सोमनाथ सहित कई नेता पीड़ित परिवार से मिले और उनका सहयोग किया, साथ ही इस घटना को लेकर सरकार पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाया. भाजपा का कहना है कि जिस आदिवासी के वोट से झारखंड में सरकार बनी है, वही आदिवासी परिवार आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. भाजपा जिला अध्यक्ष ने झारखंड सरकार को आदिवासी और दलित विरोधी सरकार करार देते हुए कहा कि झामुमो को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है.

टीबी का मरीज है परिवार का मुखिया

जिंदा रहते इस पीड़ित परिवार के आंसू पोछने का काम किसी ने नहीं किया. अगर ये काम पहले किया गया होता तो शायद इस परिवार के लोग जिंदा होते. इस हाल में भी नेता सिर्फ राजनीति रोटी सेकने में लगे हैं, जबकि पीड़ित परिवार का हाल यह है कि उसके पास रहने के लिए न तो एक अच्छा मकान है और न ही खाने के लिए भोजन, साथ ही इस परिवार का मुखिया टीबी का मरीज है और गरीबी से जूझ रहा है.

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