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सालों से बंद पड़ा है करोड़ों की लागत से बना रेफरल अस्पताल, इलाज के लिए लोग जाते हैं बंगाल

जामताड़ा जिले में करोड़ों की लागत से बना रेफरल अस्पताल सालों से बंद पड़ा है. अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है. ग्रमीणों को इलाज के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग और सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा.

करोड़ो की लागत से बना रेफरल अस्पताल

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Published : Sep 28, 2019, 10:16 AM IST

जामताड़ा: करोड़ों की लागत से जिले के कुंडहित प्रखंड में बना रेफरल अस्पताल भवन अब भूत बंगला में तब्दील हो चुका है. अस्पताल में हमेशा ताला लटका रहता है. इसकी क्या वजह है यह कोई नहीं जानता. न ही विभाग इसके लिए गंभीर है और न ही सरकार.

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सालों से बंद पड़ा है अस्पताल
जामताड़ा जिले के कुंडहित प्रखंड में रेफरल अस्पताल का निर्माण कराया गया था. जहां अस्पताल में हमेशा ताला लटका रहता है. अस्पताल में मरीजों के इलाज की सुविधा तो दूर की बात है, यह अस्पताल कभी खुलता ही नहीं है. हालात यह है कि अस्पताल का भवन जर्जर होने लगा है. यहां के लोगों को इलाज के लिए बंगाल जाना पड़ता है.

करोड़ों की लागत से हुआ था निर्माण
स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के नाम पर यहां कोई व्यवस्था नहीं है. बेहतर इलाज के लिए उन्हें बंगाल जाना पड़ता है. अस्पताल सिर्फ नाम का है. स्थानीय लोग बताते हैं कि करोड़ों रुपया की लागत से अस्पताल का निर्माण किया गया था. जिसके बाद इसकी मरम्मती एक बार भी नहीं हुई, लेकिन विभाग द्वारा मरम्मती के पैसे जरूर वसूल लिए गए.

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विधायक रविंद्र महतो ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार
बताया जाता है कि संयुक्त बिहार में करोड़ों की लागत से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कुंडहित रेफरल अस्पताल का निर्माण कराया गया था. तत्कालीन बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बिंदेश्वरी दुबे ने इसका उद्घाटन किया था. झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद लोगों ने यह उम्मीद लगाई कि बंद पड़ा यह रेफरल अस्पताल का भविष्य सवरेगा और लोगों का बेहतर इलाज यहां मिल पाएगा, लेकिन वह भी ढाक के तीन पात बन कर रह गया. स्थानीय विधायक रविंद्र महतो ने इसे लेकर सरकार को जिम्मेदार बताया है. विधायक रविंद्र महतो ने कहा है कि अस्पताल में सुविधा नदारद है.

सिविल सर्जन ने डॉक्टरों की कमी का दिया हवाला
सालों से बंद पड़े इस रेफरल अस्पताल के बारे में जब जिले के सिविल सर्जन से पूछा गया तो सिविल सर्जन ने डॉक्टरों की कमी का हवाला देते हुए बात टालने की कोशिश की. उनका कहना था कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ही रेफरल को मर्ज कर दिया गया है और चलाया जा रहा है.

बहरहाल, करोड़ों रुपए रेफरल अस्पताल भवन के निर्माण और लाखों रुपए मरम्मती के नाम पर पैसा पानी की तरह बहा दिया गया, लेकिन कुंडहित के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिल पाया. बेहतर इलाज के लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है. सरकार का यह दावा है कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई जा रही है.

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