जामताड़ाः जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर है नाला प्रखंड. इस प्रखंड से होकर वर्षों पहले ट्रेनों का परिचालन होता था. इसलिए यहां पालास्थली रेलवे स्टेशन भी बनाया गया था. लेकिन सुरक्षा कारणों से ट्रेन परिचालन बंद कर दिया गया. ट्रेन की आवाजाही बंद होने के बाद पालास्थली रेलवे स्टेशन की बिल्डिंग खंडहर में तब्दील हो गई है. वहीं अब यहां के लोगों को ट्रेन पकड़ने के लिए दुमका या फिर जामताड़ा जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
खंडहर में तब्दील हो गया पालास्थली रेलवे स्टेशन, स्थानीय लोगों ने की ट्रेन चलाने की मांग
जामताड़ा के नाला प्रखंड से रेलवे लाइन था, जिसपर दिनभर ट्रेनों की आवाजाही होती थी. सुरक्षा कारणों से यह रेलवे लाइन बंद कर दिया गया. जिसके बाद से ही यहां के लोगों को आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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नाला पालास्थली रेलवे स्टेशन से अंडाल तक रेलवे लाइन था, जिसपर ट्रेनों का आना जाना होता था. इससे बड़ी संख्या में लोग ट्रेनों से सफर करते थे, इससे लोगों को रोजगार भी मिला था. रेलवे स्टेशन के पास सैकड़ों की संख्या में ठेला-खोमचा और अन्य दुकानें थी, जिससे लोगों की रोजी रोटी चल रही थी. लेकिन आज सब बंद हो गया. नाला पालास्थली में ईसीएल की कोयला खदान था, जो बंद हो गया. इसके बाद कोयला माफियाओं की ओर से कोयले का अवैध खनन किया जाने लगा. इससे ट्रेन परिचालन पर खतरा मडराने लगा था और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही रेलवे बोर्ड ने ट्रेन परिचालन बंद कर दिया गया.
स्थानीय लोगों का कहना है कि ट्रेन परिचालन बंद होने से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसके साथ ही क्षेत्र में विकास भी अवरुद्ध हो गया है. स्थिति यह है कि अगर लंबी दूरी का सफर करना है तो जामताड़ा या फिर दूसरी जगह जाकर ट्रेन पकड़ना पड़ता है. लोगों की समस्या को देखते हुए दुमका सांसद और झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो लगातार कोशिश कर रहे हैं कि ये रेलवे लाइन एक बार फिर चालू हो सके.