हजारीबाग: विश्वविद्यालय और महाविद्यालय शिक्षकों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं को लेकर एक दिवसीय धरना का आयोजन विनोबा भावे विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन में हुआ. जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ एआर आष्टा ने की. यह कार्यक्रम अलग-अलग शिक्षक संगठनों की ओर से किया गया था. जहां शिक्षक ने अपनी मांग के समर्थन में अपना पक्ष रखा. सभी ने इस कार्यक्रम में सरकार की उच्च शिक्षा नीति के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया.
नहीं थम रही शिक्षकों की हड़ताल, विनोबा भावे विश्वविद्यालय के शिक्षक को नहीं मिल रहा वेतन
इन दिनों झारखंड में शिक्षा देने वाले गुरू की स्थिति ठीक नहीं है. वह अपने अधिकार के लिए धरना पर बैठ रहे हैं. ऐसा ही कुछ हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर में देखने को मिला. वहां वर्तमान में काम कर रहे प्रोफेसर के अलावा सेवानिवृत्त प्रोफेसर भी अपने अधिकार के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं.
प्रोफेसर और अवकाश प्राप्त शिक्षकों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे शिक्षा की अलख जगाकर समाज में अपना योगदान देते हैं. लेकिन सरकार उन्हें समय पर वेतन और पेंशन का भुगतान भी नहीं कर रही है. शिक्षकों में इस बात को लेकर और हैरानी जताई कि राज्य सरकार ने दो तरफा रवैया अपनाते हुए रांची विश्वविद्यालय तथा सिद्धू कान्हू विश्वविद्याल (दुमका) को वेतन और पेंशन के लिए एक माह पहले ही राशि आवंटित कर दी गई है. लेकिन हजारीबाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय के लिए किसी भी तरह का आवंटन नहीं किया गया है.
एआर आष्टा ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को सातवां वेतनमान दिया जा रहा है लेकिन विनोबा भावे विश्वविद्यालय में इसे अभी तक चालू नहीं किया गया है. समय पर वेतन नहीं मिलने के कारण घर में भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से हमे सैलेरी और पेंशन की राशि दी जा रही थी, लेकिन अब वह भी नहीं दी जाएगी. आष्टा ने कहा कि जो शिक्षक पूरे समाज को शिक्षा देतें है उन्हें वेतन के लिए आंदोलन करना पड़ रहा हैं, जो समाज के लिए अच्छा संकेत नहीं है.