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हजारीबागः निजी स्कूलों में RTE की अनदेखी, गरीब बच्चों को नहीं मिल रहा 25% आरक्षण का लाभ

शिक्षा का मौलिक अधिकार हर किसी को है. इसके लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम भी बनाया गया है. साथ ही यह भी प्रावधान है कि आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित समुदाय के 6-14 साल के बच्चों को निजी और गैर-सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल 25% सीट का आरक्षण दे. लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी ऐसा नहीं हो रहा है और निजी स्कूल नियमों की अनदेखी कर अपनी मनमानी कर रहे हैं.

Right to Education Act is being ignored in private schools in Hazaribagh
मनमानी

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Published : Mar 5, 2021, 6:52 AM IST

Updated : Mar 5, 2021, 10:46 AM IST

हजारीबागः शिक्षा अधिकार अधिनियम केंद्र सरकार की ओर से बनाया गया कानून है. जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर एवं वंचित समुदाय के बच्चों को निजी स्कूल में शिक्षा प्रदान करना है. इस बाबत 25% सीट आरक्षित की गई है. जिसका खर्च सरकार उठाती है. लेकिन हजारीबाग के कई ऐसे स्कूल है जो इसका पालन नहीं कर रहे हैं. ऐसे में कहा जाए तो सरकार ने जिस उद्देश्य से आरटीई एक्ट लागू किया गया है वह पूरा नहीं हो रहा है.

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इस एक्ट के तहत 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को अपने पड़ोस के स्कूल में मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है. यह कानून हर एक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा का अधिकार प्राप्त करवाता है. इसके लिए बच्चों से प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के लिए स्कूल में फीस या यूनिफॉर्म, पुस्तक, मध्यान्न भोजन, परिवहन शुल्क नहीं लिया जाना है. लेकिन हजारीबाग में कई ऐसे स्कूल है जो इसका अनुपालन नहीं कर रहे हैं. ऐसे में आरटीआई एक्टिविस्ट का कहना है कि हम लोग हमेशा इस बात को लेकर आवाज उठाते रहे हैं. कई ऐसे स्कूल हैं जो खुद को अल्पसंख्यक स्कूल बताते हैं और नियम का पालन नहीं करते हैं. सीबीएसई मान्यता प्राप्त स्कूलों में यह स्पष्ट निर्देश है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया जाए.

हजारीबाग डीएवी स्कूल के प्राचार्य अशोक कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि हम अपने स्कूल में इस नियम का शत-प्रतिशत पालन करवा रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि हमें बहुत दुख है कि कई ऐसे स्कूल है जो इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं. मुझे को-ऑर्डिनेटर भी सीबीएसई का बनाया गया है. ऐसे में यह मेरा कार्य क्षेत्र तो नहीं है, हजारीबाग, रामगढ़ समेत अन्य जिला जो हमारे क्षेत्र में आते हैं. उसके प्रचार्य के साथ बैठ कर यह निष्कर्ष निकालने का कोशिश करूंगा, राइट टू एजुकेशन का पालन कराया जाए.

निजी स्कूल गरीब बच्चों को पढ़ाने से करते हैं इनकार

हमेशा यह देखने को मिलता है स्कूल प्रबंधन गरीब और झुग्गी झोपड़ियों के बच्चे को पढ़ाने से इनकार कर देते हैं. उनका कहना होता है कि हम लोग उन्हें पढ़ाएंगे तो हमारे स्कूल का वातावरण खराब हो जाएगा, जिसका असर अन्य छात्रों पर पड़ेगा. इस पर सीबीएसई को-ऑर्डिनेटर अशोक कुमार का कहना है कि यह सरासर गलत है. हमारे स्कूल में 2 ऐसे बच्चे पढ़ रहे हैं जो बेहद गरीब हैं और दोनों बच्चे अब क्लास में टॉप कर रहे हैं. यहां तक कि उनकी तार्किक शक्ति भी बाकी बच्चों से अलग है. इसका अर्थ स्पष्ट है कि अगर अच्छा माहौल वैसे बच्चों को दिया जाए तो और अच्छा कर सकते हैं.

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शिकायत पर हम कार्रवाई करते हैं

इसको लेकर जिला शिक्षा अधीक्षक का कहना है कि अगर हम लोगों को पता चलता है कि स्कूल नियम का पालन नहीं कर रहे तो हम लोग कार्रवाई करते हैं. हम लोगों के पास कई आवेदन आते है तो हम लोगों आवेदन निजी स्कूल को भेजते हैं, जहां बच्चे की पढ़ाई हो रही है. उनका यह भी कहना यह अधिनियम बेहद सकारात्मक है. जरूरत है सभी विद्यालय को नियम का पालन करने का तभी समाज के गरीब तबके को इस अधिनियम से लाभ मिल पाएगा.

Last Updated : Mar 5, 2021, 10:46 AM IST

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