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भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा हजारीबाग शवदाह गृह, 2 करोड़ की लागत से बना था मुक्ति धाम

मुक्तिधाम हर एक व्यक्ति का अंतिम पड़ाव माना जाता है, लेकिन हजारीबाग के सरकारी सिस्टम ने मुक्तिधाम तक को नहीं छोड़ा. आलम यह है कि करोड़ों रुपए की लागत से बना विद्युत शवदाह गृह श्मशान घाट की शोभा का वस्तु बनकर रह गई है और अब यह खराब भी हो रही है.

हजारीबाग शवदाह गृह

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Published : Oct 12, 2019, 9:43 PM IST

हजारीबाग:जिले में विकास और योजना के नाम पर करोड़ों रुपए की लूट हर विभाग में हुई है. नगर निगम ने अंतिम संस्कार के दौरान होने वाली परेशानी को देखते हुए भारी भरकम रुपए खर्च कर मुक्तिधाम में विद्युत शवदाह गृह का निर्माण कराया, लेकिन 2 साल बीच जाने के बाद भी यह शुरू नहीं हो सका है.

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2 करोड़ रूपए का लागत से 2 साल पहले बने इस शवदाह गृह का उद्घाटन भारत के पूर्व वित्त और विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने किया था. उद्घाटन के 2 साल बीत जाने के बाद भी अब तक यहां 10 शव भी नहीं जला है. भूतनाथ मंडल के अध्यक्ष मनोज गुप्ता कहते हैं कि कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार की वेदी पर शवदाहगृह जल गया. जिसके कारण इसका उपयोग नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि निम्न कोटि का सामान लगाया गया जिससे एक शव को जलने में 8 घंटे तक का समय लग जाता है. जब लावारिस लाश को विद्युत शवदाह गृह में डाला गया तो जलने के बजाय शव रोस्ट हो जाता है. दूसरी ओर मुर्दा कल्याण समिति के अध्यक्ष मोहम्मद खालिद भी कहते हैं कि यह सिर्फ और सिर्फ हाथी का दांत है जो दिखावे का है.

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शवदाह गृह का निर्माण हजारीबाग वासियों को सुविधा देने के मकसद से बनाया गया था. लेकिन 2 साल में एक दिन भी अच्छे से काम तक नहीं कर पाया. हजारीबाग में बिजली की व्यवस्था बेहद खराब है, ऐसे में मशीन को गर्म होने में भी पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाती है. बिना किसी सोच के इस योजना को धरातल पर उतारा गया. अब इसका जवाब अधिकारी के पास नहीं है. हजारीबाग के नगर आयुक्त का कहना है कि उन्हें इस विषय में जानकारी नहीं है, लेकिन फाइल मंगवाने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

शवदाह गृह का निर्माण और मेंटेनेंस का काम चेन्नई की एजेंसी को दिया गया था. कई बार इसे लेकर नगर निगम पत्राचार भी कर चुका है, लेकिन एजेंसी ने भी नगर निगम की सुनना बंद कर दिया है या कहें कि अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. हालांकि, नगर निगम के उपमहापौर ने मई महीने में इसे ठीक कराने की कोशिश की थी, लेकिन वह कोशिश सिर्फ पन्नों में सिमट गई. अब देखने वाली बात यह होगी कि नगर आयुक्त कब फाइल मंगाते हैं और कब शवदाह गृह शुरू हो पाता है.

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