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हजारीबाग में ठेंगे पर एमवी एक्ट, सरकारी वाहनों में नहीं है फर्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था

सड़कों पर कई गाड़ियां दौड़ती हैं. इन गाड़ियों में एमवी एक्ट के तहत फर्स्ट एड बॉक्स रखना सबसे महत्वपूर्ण है. फर्स्ट एड बॉक्स जीवन रक्षक का काम करता है, लेकिन हजारीबाग के कई सरकारी वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था नहीं है.

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फर्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था

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Published : Jan 13, 2021, 9:36 PM IST

हजारीबाग: सड़कों पर कई कमर्शियल गाड़ियां दौड़ती हैं. हर जिले में सैकड़ों गाड़ी हैं, लेकिन क्या ये गाड़ी एमवी एक्ट के नियम अनुसार चलती है, जो सबसे अहम बात है. एमवी एक्ट के तहत वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स रखना सबसे महत्वपूर्ण है, ताकि इमरजेंसी में यात्रियों को मदद मिल सके, लेकिन कई गाड़ियांं आज भी सड़क पर बिना फर्स्ट एड बॉक्स के ही दौड़ रही हैं.

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फर्स्ट एड बॉक्स की जानकारी स्कूल से लेकर कॉलेज तक के छात्र-छात्राओं को दी जाती है. क्योंकि जीवन अनमोल है. कभी-कभी यह फर्स्ट एड बॉक्स जीवन रक्षक का भी काम करता है. ऐसे में दो पहिया वाहनों से लेकर चार पहिया वाहनों तक में फर्स्ट एड किट रखना बेहद जरूरी है. एमवी एक्ट के अनुसार भी हर गाड़ी चालक को इसकी व्यवस्था करनी है. कंपनी की ओर से भी फर्स्ट एड किट गाड़ियों में दी जाती है, ताकि कभी इमरजेंसी हो तो उपयोग में लाया जा सके.

फर्स्ट एड किट नहीं रखने पर वाहन मालिकों पर जुर्माना

हजारीबाग के डीटीओ का भी कहना है कि यह बेहद महत्वपूर्ण किट है. हमलोग समय-समय पर ड्राइव चला कर लोगों को जागरूक भी करते हैं और औचक निरीक्षण भी किया जाता है, अगर किसी गाड़ी में फर्स्ट एड किट नहीं है तो वाहन मालिकों पर जुर्माना भी लगाया जाता है. इसे लेकर 500 का अर्थदंड भी है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि 500 का अर्थदंड नहीं, बल्कि इस नियम को गंभीरता और सच्चाई के साथ लागू करने की जरूरत है.


एसी बस ले रहे साधारण बस की जगह
हजारीबाग बस स्टैंड में हर दिन सैकड़ों गाड़ियों का आना जाना लगा रहता है. बस स्टैंड में यात्रियों की भी चहल-पहल दिन भर देखने को मिलती है. वर्तमान समय में बस को अपग्रेड भी किया गया है. अब एसी बस साधारण बस की जगह ले रहे हैं. बस मालिक बताते हैं कि फर्स्ट एड बॉक्स पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि हमारी गाड़ी अब वातानुकूलित है, कभी-कभी ग्लास भी फट जाता है, ऐसे में अगर फर्स्ट एड बॉक्स हो तो प्रारंभिक उपचार किया जा सकता है, ताकि यात्रियों को परेशानी न हो, इसे देखते हुए गाड़ी में व्यापक इंतजाम रहता है.



दुर्घटना के बाद फर्स्ट एड बॉक्स से राहत
बस चालकों का कहना है कि हर नियम का पालन तो हमलोग नहीं कर पाते हैं यह सच्चाई है, लेकिन फर्स्ट एड बॉक्स जरूर रखते हैं. क्योंकि गाड़ी चलाते वक्त भी कभी हाथ में चोट लग जाती है. वहीं गाड़ी में यात्री भी बैठते हैं, कभी अगर दुर्घटना हो गई तो फर्स्ट एड बॉक्स राहत का काम करता है, ऐसे में हमलोग फर्स्ट एड बॉक्स को अपडेट रखने की कोशिश करते हैं.



वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स रखने की अपील
हजारीबाग के डीटीओ ने ईटीवी भारत के माध्यम से दोपहिया और चार पहिया वाहन मालिकों से फर्स्ट एड बॉक्स रखने की अपील की है, ताकि वक्त पर काम आ सके. उनका यह भी कहना है कि अक्सर इसका उपयोग नहीं हो पाता है, लेकिन जब इसका उपयोग आता है तो वह जीवन रक्षक का काम करता है, हर एक व्यक्ति का जीवन अनमोल है.

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बस में स्पाइनल बोर्ड की भी व्यवस्था होनी चाहिए
सड़क हादसे में 10 से 15 फीसदी मामले गर्दन या रीढ़ की हड्डी में चोट के होते हैं. ऐसे में पैनल बोर्ड या फिर लकड़ी का बोर्ड भी रखना चाहिए, जिसके सहारे घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा सके. नियमानुसार प्राथमिक उपचार बॉक्स में पट्टी, कैंची, एंटीसेप्टिक, दर्द निवारक टैबलेट, डिटॉल के अलावा अन्य जीवन रक्षक दवाइयां होनी चाहिए. प्राथमिक उपचार बॉक्स में दवा के साथ-साथ हाथ धोने का साबुन या फिर हैंडवाश रखना भी जरूरी है, ताकि अगर कहीं चोट लगे और घायलों को बैंडेज किया जाए तो उसके बाद अपना हाथ भी धो सके. वर्तमान समय में इलाज करने वाले व्यक्ति को भी अपना हाथ सेनेटाइज करना जरूरी है.

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