हजारीबाग: जिले में कृषि विभाग की ओर से दिसंबर 2019 में बीज वितरण के मामले को लेकर बवाल मचा हुआ है. कटकमदाग की जिला परिषद सदस्य प्रियंका कुमारी ने इस मामले को उठाया था. उनका कहना है कि हजारीबाग में बीज घोटाला हुआ है, जिसमें 40 लाख से अधिक सरकारी पैसा का बंदरबांट कर दिया गया, लेकिन इस आरोप को कृषि पदाधिकारी ने निरस्त कर दिया है. उनका कहना है कि आरोप गलत है. वहीं सहकारिता पदाधिकारी का कहना है कि मुझे इस बारे में किसी तरह की कोई जानकारी नहीं है, जबकि सहकारिता विभाग के जरिए ही पैक्स को बीज जाता है.
बीज के वितरण में गड़बड़ी की आशंकाराज्य में किसानों को 50% अनुदान में दिए जाने वाले बीज के वितरण में गड़बड़ी का आशंका जताई जा रही है. इसे लेकर हजारीबाग कि जिला परिषद सदस्य पुष्पा कुमारी और प्रियंका कुमारी ने शिकायत भी दर्ज कराया है. उन लोगों का कहना है कि नियम को ताक पर रखकर और आनन-फानन में बीज वितरण किया गया है, 13 दिसंबर 2019 को 2800 क्विंटल गेहूं बीज का आवंटन हुआ था, इस बीच को 50 फ़ीसदी अनुदान पर पैक्स के माध्यम से प्रखंड कृषि पदाधिकारी प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी की उपस्थिति में वितरित किया जाना था, लेकिन बीज का वितरण नहीं किया गया, साथ ही व्यापक अनियमितता बरती गई है. पूरे मामले में हजारीबाग के जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार और उनके कार्यालय की भूमिका पर सवाल उठाया गया है. शिकायत में यह भी कहा गया है कि कई बार डीसी और डीडीसी को भी शिकायत की गई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.
सहकारिता पदाधिकारी इस मामले को लेकर अनभिज्ञ
वहीं जिले के सहकारिता पदाधिकारी उमेश कुमार सिन्हा का कहना है कि उन्हें इस बात की किसी तरह की जानकारी नहीं है. नियम यही है कि सहकारिता विभाग के पदाधिकारियों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए. गेहूं के बीज का वितरण कैसे किया गया है और किन लोगों को दिया गया है. उनका यह भी कहना है कि यह रवि का फसल है और नवंबर-दिसंबर के बीच बोआई होती है, सहकारिता विभाग को नेशनल सीड कॉरपोरेशन से बीज मिलता है, लेकिन 2800 क्विंटल बीज वितरण मामले में कृषि पदाधिकारी ही कुछ बता सकते हैं. उनका यह भी कहना है कि पैक्स सहकारिता विभाग के अंदर आता है, इस कारण जिला सहकारिता पदाधिकारी या फिर कोऑपरेटिव के पदाधिकारियों को इस बात की जानकारी देनी चाहिए, लेकिन जिला कृषि पदाधिकारी ने किसी भी तरह की जानकारी हम लोगों को नहीं दिया है.
जिला कृषि पदाधिकारी ने वित्तीय अनियमितता की बातों को नकारा
इस मामले को लेकर जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार का कहना है कि उन्होंने किसी भी तरह की वित्तीय अनियमितता इस मामले में नहीं की है. उन्होंने कहा कि पैसा ट्रेजरी में आया था और 41 लाख रुपैया विभाग ने ट्रेजरी से निकाल कर अपने पास रखा है, अगर पैसा का निकासी ट्रेजरी से नहीं होता तो पैसा लेफ्ट कर जाता है, ऐसे में हमलोग कंपनी को कैसे पैसा देते. उनका यह भी कहना है कि अब आने वाले समय में इस मामले को लेकर जांच भी होनी है, जांच के बाद अगर सरकार बोलेगी कि कंपनी को पैसा भुगतान किया जाएगा अगर नहीं बोलेगी तो सरकार को पैसा हमलोग वापस कर देंगे.
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13 दिसंबर 2019 का मामला
मामला 13 दिसंबर 2019 का है. इस तिथि को विभाग से 2800 क्विंटल बीज आवंटित करने का आदेश जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार को प्राप्त हुआ था. पत्र प्राप्त होते ही जिला कृषि पदाधिकारी ने आनन-फानन में गिरिडीह के बीज आपूर्ति नावाडीह कृषक सेवा स्वावलंबी सहकारी समिति को बीज सप्लाई का आदेश जारी किया. इसी तिथि को 257 पैक्सों में पांच प्रखंडों के 6 का चयन कर बीज भी आवंटित कर दिया गया. इसके पीछे यही तर्क दिया गया कि 15 दिसंबर के पहले बीज का वितरण नहीं किया जाता तो इसका गुणवत्ता कम हो जाती है. मात्र 2 दिनों में पूरा बीज आवंटित कर दी गई. अब मामला सामने आने के बाद विभागीय स्तर पर जांच भी शुरू हो गई है.
पैक्सों को बांटे गए 500-500 क्विंटल बीज
- गोरिया कर्मा प्राथमिक कृषि साख सहयोग समिति
- गलसुआ प्राथमिक कृषि साख सहयोग समिति
- इचाक कृषक सेवा स्वावलंबी सहकारी समिति
- कुट्टी पीसी प्राथमिक कृषि साख सहयोग समिति
- रतनपुर कृषक सेवा स्वावलंबी सहकारी समिति चार्ट
पूरे प्रकरण में बीज वितरण एक ही दिन में कैसे कर दिया गया यह संदेह के घेरे में है, तो दूसरी ओर पैसा निकासी ट्रेजरी से क्यों किया गया इस पर भी सवाल खड़ा किया जा रहा है. शिकायतकर्ता ने किसी भी पैक्स से गेहूं के बीज को अनलोड होते हुए कोई भी वीडियो या फोटोग्राफ सामने नहीं लाने पर सवाल खड़ा किया है, साथ ही साथ सभी पैक्सों के स्टॉक पंजी की जांच कराने की भी मांग की है.