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हजारीबाग में बौद्ध सर्किट होने की उम्मीद,  पुरातात्विक विभाग की टीम ने किया निरीक्षण, होगी खुदाई

भारतीय पुरातत्व विभाग की चार सदस्यीय टीम ने हजारीबाग का दौरा किया, जहां उन्होंने सीतागढ़ा पहाड़ी के बहरामपुर से लेकर शेखा, अनारी में बिखरे पड़े बौद्ध और देवी देवताओं के मूर्ति की जांच की, जिसके बाद खुदाई करने का निर्णय लिया.

पुरातात्विक विभाग की टीम ने किया निरीक्षण

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Published : Nov 8, 2019, 2:50 PM IST

हजारीबाग: गया और चतरा के इटखोरी के बाद अब बौद्ध सर्किट से हजारीबाग का नाम भी जुड़ने जा रहा है. इसे लेकर भारतीय पुरातत्व विभाग ने सदर प्रखंड के सीतागढ़ा पहाड़ी के बहरामपुर से लेकर शेखा, अनारी में बिखरे पड़े बौद्ध और देवी देवताओं की मूर्ति की जांच के बाद हजारीबाग में खुदाई करने का निर्णय लिया है. खुदाई की शुरुआत सीता गड़ा पहाड़ के तलहटी में बसे बहरनपुर गांव से होगी. दिसंबर में खुदाई शुरू की जाएगी, जिसकी अनुमति सरकार ने दे दी है.

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हजारीबाग की पहचान अब विश्व पटल में होने जा रही है. पुरातात्विक वेताओं का मानना है कि हजारीबाग एक बौद्ध सर्किट का टुकड़ा है, जहां किसी जमाने में बौद्ध धर्म का प्रचार हुआ और बुद्ध क्षेत्र से गुजरे, जिसका जीता जागता प्रमाण सीतागढ़ा पहाड़ और उसके आसपास का इलाका है. अब सीतागढ़ा के 5 किलोमीटर रेडियस में पुरातात्विक विभाग खुदाई का काम शुरू करने जा रही है. खुदाई का जिम्मा पटना पुरातात्विक विभाग को सौंपा गया है.

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सीतागढ़ा में बौद्ध सर्किट होने की उम्मीद
खुदाई के निर्देश मिलने के बाद पुरातात्विक नेताओं की टीम ने हजारीबाग के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया, इस दौरान उन्हें प्रतीत हुआ है कि यह क्षेत्र कभी बौद्ध सर्किट रहा होगा, जिसमें खासकर सीतागढ़ा का क्षेत्र है. सीतागढ़ा गांव के पास कई ऐसे घर हैं जिनके दरवाजे पर हजारों साल पुरानी मूर्ति है. उन मूर्तियों का उन्होंने फोटोग्राफ लिया है और समझा है कि आखिर मूर्ति कैसी है और कब की हो सकती है. वहीं, शेखा गांव में भी दर्जनों मूर्ति पाई गई है, जिसे मंदिरों में रखकर सहेजा गया है. यह बताने की कोशिश की गई है कि यह देवी देवता की मूर्ति है, जिसके कारण लोग उस मूर्ति को छूते नहीं हैं. वहीं, ग्रामीणों का यह भी कहना है कि कुछ मूर्तियां चोरी भी हो गई है, करीब डेढ़ साल पहले गुरहैद गांव के तालाब खुदाई के दौरान बुद्ध से जुड़ी मूर्तियां भी पाई गई हैं. ऐसा माना जाता है कि सीतागढ़ा केंद्र हो सकता है.

BSF फायरिंग रेंज होने से खुदाई की प्रक्रिया शुरू करने में देरी
बीएसएफ फायरिंग रेंज होने के कारण टीम को यहां काम शुरू करने से पहले अनुमति लेनी होगी. जानकारी मिली है कि दिसंबर महीने में यहां खुदाई का प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. पहाड़ के तलहटी में चबूतरा, कुंआ मिलने की प्रमाण भी मिले हैं और उसमें से कई पत्थर भी और मृत भांड भी ग्रामीणों को मिले हैं.

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बहोरनपुर में बौद्ध स्तूप होने की उम्मीद
वैसे तो पूरे क्षेत्र में अवशेष के भरमार हैं, लेकिन पुरातात्विक वेता ने सबसे पहले सीतागढ़ा क्षेत्र में खुदाई का काम शुरू करने की योजना बनाई है. इसके पीछे अधिक मात्रा में बिखरे ईंट और बौद्ध स्तूप होने के प्रमाण मिले हैं. बहोरनपुर में तीन ऐसे टिले हैं जहां बौद्ध स्तूप होने का सबसे अधिक अनुमान लगाया जा रहा है. इतना ही नहीं बहोरनपुर से लगे 500 मीटर परिधि में पाल काल के बने पांच कुंए और बाउडरी आज भी मौजूद हैं.

पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम का कैमरे पर जानकारी देने से इनकार
पटना से आए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण खनन पटना शाखा 3 से आए 4 सदस्यीय टीम ने कैमरे पर कुछ भी कहने से इनकार किया. उनका कहना है कि यह काफी अधिक संवेदनशील मामला है और भारत सरकार इस पर नजर रखे हुए है और उन्हें इस बात की जानकारी देने की इजाजत नहीं है, लेकिन वहां के मुखिया ने बताया कि टीम ने उनसे कई जानकारियां इकट्ठा की और बताया कि यहां हजारों साल पुरानी मूर्ति है और सभी मूर्ति का विशेष अर्थ भी है. उन्होंने यह भी कहा है कि यह मूर्तियां बौद्ध सर्किट होने के प्रमाण भी देते हैं.

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हजारीबाग बिनोवा भावे विश्वविद्यालय में सेवा देने वाले प्रोफेसर प्रमोद सिंह का कहना है कि इतिहासकार के अनुसार यहां शोध करने के दौरान कई ऐसे महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं. उनका कहना है कि इस क्षेत्र की गहन जांच करने की आवश्यकता है और यह हजारीबाग का क्षेत्र चतरा के इटखोरी से कम महत्वपूर्ण नहीं है.

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