हजारीबाग: जिले के बरही स्थित आजसू कार्यालय में पार्टी सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो के निर्देशानुसार आजसू पार्टी के सदस्यों ने आजसू पार्टी का 34वां स्थापना दिवस संकल्प दिवस के रूप में मनाया. इस मौके पर पार्टी के संस्थापक सदस्यों समेत चीन द्वारा हुए हमले में शहीद हुए सभी वीर सेनानियों को भी पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया गया और दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धाजंलि दी गई.
इस दौरान विधानसभा प्रभारी राजसिंह चौहान ने कहा कि आजसू पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो के आह्वान पर आजसू पार्टी अपने 34वें स्थापना दिवस को संकल्प दिवस के रूप में सादगी से मनाने का निर्णय लिया है. जिसका आजसू पार्टी स्वागत करती है. साथ ही कार्यकर्ताओं के बीच में डिजिटल संवाद के माध्यम से पार्टी सुप्रीमो के विचारों से अवगत कराया गया. इस मौके पर कहा गया कि पार्टी अध्यक्ष के मिले निर्देशों पर कार्य करते हुए संगठन मजबूत कर झारखंडी अस्मिता और प्रदेश के समुचित विकास की दिशा में कार्य करेगी. कार्यक्रम में आजसू विधानसभा प्रभारी राज सिंह चौहान समेत, जिला उपाध्यक्ष संतोष रजवार, प्रखंड अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार साहू, गुरुदेव गुप्ता, वीरेंद्र कुमार, अरुण केसरी, महेंद्र चंद्रवंशी, बालेश्वर सिंह, नागेंद्र कुमार, बसंत कुमार सिंह, चंदन कुमार आदि उपस्थित थे.
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1986 में हुआ था आजसू का गठन
आजसू पार्टी भारत सरकार के चुनाव आयोग के द्वारा निबंधित एक क्षेत्रिय राजनितिक पार्टी है. इस दल के ससंथाक निर्मल महतो थे. इसके केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो हैं. आजसू का गठन 22 जून 1986 को आदिवासी एसोसिएशन के सभागार में ही हुआ था. तब इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य था झारखंड आंदोलन को गति देना है, 2007 में पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो ने इसे राजनीतिक पार्टी के रूप में स्थापित किया है.
हिंसक झड़प में झारखंड के दो जवान शहीद
बता दें कि बीते कुछ दिनों से भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के बीच खींचतान चल रही है. लेकिन सोमवार-मंगलवार यानि 15-16 जून की रात यह संघर्ष खूनी झड़प में बदल गया. सोमवार-मंगलवार की रात गलवान इलाके में दोनों तरफ के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई और भारत के 20 जवान शहीद हो गए. भारत चीन के सैनिकों की झड़प में भारतमाता के 20 वीर सपूत शहीद हो गए. इन शहीदों में झारखंड के 2 सपूत भी शामिल हैं. झड़प में साहिबगंज के वीर सपूत कुंदन ओझा शहीद हो गए. वहीं, बहरागोड़ा ब्लॉक के कोसाफलिया निवासी गणेश हांसदा (21) भी झड़प में शहीद हो गए. यह झड़प उस वक्त हुई जब भारतीय सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर बातचीत करने गए थे. घटना में शहीदों के अलावा 45 जवान जख्मी भी हुए थे.