हजारीबाग:एड्स वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में एक है. जानकारी ही इस समस्या का सबसे बड़ा समाधान है. ऐसे में आज पूरा विश्व एड्स दिवस मना रहा है. लोगों को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम का भी आयोजन किया जा रहा है.
एड्स रोगियों की बढ़ती संख्या
हजारीबाग का बिष्णुगढ़ प्रखंड एड्स की राजधानी के रूप में जाना जाता है. एड्स रोगियों की बढ़ती संख्या इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या के रूप में देखी जा रही है, लेकिन अब लोगों की सकारात्मक बदलाव से फिर से खोई हुई प्रतिष्ठा वापस लौट रही है. इस बदलाव का कारण स्वास्थ्य विभाग, स्वयंसेवी संगठन, समाज के प्रबुद्ध लोग और एड्स पीड़ित लोगों के मेहनत से आया है.
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5 हजार रोगियों की जांच
आंकड़े बताते हैं कि पहले की तुलना में रोगियों की संख्या में कमी आई है. इसका मुख्य कारण लोगों में जागरूकता बताया जा रहा है. साल 2008- 10 के बीच लोगों के रक्त की जांच के बाद 90 से 100 एड्स रोगियों को चिन्हित किया गया था. साल 2016-17 में 1 हजार 400 लोगों की खून की जांच हुई, जिसमें 14 रोगी पॉजिटिव पाए गए थे. साल 2018 में 5 हजार रोगियों की जांच की गई, जिसमें पॉजिटिव मरीजों की संख्या 19 आई. इस साल अप्रैल से लेकर आज तक लगभग 4 हजार मरीजों का टेस्ट किया गया है, जिसमें पॉजिटिव मरीजों की संख्या 24 है.
2 हजार 500 मरीज एड्स पीड़ित
हजारीबाग सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ कृष्ण कुमार का कहना है कि जब से सदर अस्पताल में सेंटर बना है उस समय से लेकर आज तक 7 हजार 19 केस का रजिस्ट्रेशन हुआ है, जिसमें अभी 5 हजार 48 लोगों का इलाज चल रहा है जो अलग-अलग जिले से यहां पर पहुंचकर इलाज करा रहे हैं. वहीं, यह भी जानकारी मिली है कि हजारीबाग जिले में लगभग 2 हजार 500 मरीज एड्स पीड़ित हैं.
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एडस मरीजों की संख्या पहले से कम
वहीं, विष्णुगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सका पदाधिकारी डॉ अरुण कुमार का कहना है कि मरीजों की संख्या पहले से कम हुई है, लेकिन अभी जो संख्या दिख रही है उसका कारण यह है कि दूसरे जिले से भी अब मरीज यहां आकर अपना टेस्ट कराते हैं. इस कारण संख्या में बढ़ोतरी हुई है. अगर स्थानीय मरीजों की बात की जाए तो वह संख्या कम है. विष्णुगढ़ में सबसे पहले रमुआ गांव में एड्स मरीज चिन्हित हुआ था, जिसमें गांव की एक महिला की मौत 1 अप्रैल 2000 को हुई थी. एड्स की पहचान होने पर घर से कुछ दूर एक झोपड़ी बनाकर उसे रखा गया था.
असुरक्षित यौन संबंध
वहां 2 सालों तक वह जिंदगी और मौत के बीच जूझती रही, हालांकि उसके पति की मौत 6 महीने पहले ही हो चुकी थी. वह मुंबई में टैक्सी ड्राइवर था. इसके बाद लगातार इस क्षेत्र में एड्स से जुड़ी जांच होती रही और संख्या भी सामने आती गई. 2000 -2001 तक इस बीमारी से 14 लोगों की मौत हुई है. एड्स के कारणों का पड़ताल करने से पता चलता है कि इस प्रखंड से बड़े पैमाने में लोग महानगरों की ओर रुख किया और असुरक्षित यौन संबंध बनाकर एड्स जैसी बीमारी लेकर क्षेत्र में आए और फिर अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाया और यह बीमारी धीरे-धीरे फैलती चली गयी.
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सरकार के प्रयास के कारण एड्स धीरे-धीरे आया कंट्रोल में
डॉक्टरों का कहना है कि इस क्षेत्र में शिक्षा का अभाव है. इस कारण भी यह बीमारी फैली है. अशिक्षित होने के कारण लोग रोजगार के लिए बाहर गए और फिर अज्ञानता के कारण इस बीमारी को लेकर वापस अपने गांव आ गए, लेकिन समाज सेवी संगठन सरकार के प्रयास के कारण एड्स धीरे-धीरे कंट्रोल में आया. विष्णुगढ़ स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक डॉ अरुण कुमार सिंह ने कहा कि पहले लोगों में इस बीमारी को लेकर अज्ञानता थी और लोग छिपाते भी थे, लेकिन धीरे-धीरे सरकार और संगठन की ओर से जागरूकता अभियान चलाया गया, जिससे लोगों में जानकारी आई.
एड्स होने के कारण
एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाना और खून चढ़ाने के दौरान एचआईवी इफेक्टेड ब्लड का इस्तेमाल एचआईवी ग्रसित मां से वायरस बच्चे में जा सकता है. पॉजिटिव मरीज के सिरींज के इस्तेमाल से भी हो सकता है. एड्स एक से अधिक महिलाओं के साथ संबंध बनाने से भी हो सकता है.
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एड्स के लक्षण
- लंबे समय तक बुखार रहना
- अधिक समय तक डायरिया की स्थिति बने रहना
- सूखी खांसी होना
- मुंह में सफेद छाले पड़ना
- थोड़े काम के बाद थक जाना
- लगातार वजन कम होना
- यादाश्त में कमी आना