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7 वर्षों से दो रसोइयों को नहीं मिल रहा है मानदेय, दर-दर भटकने को हुए मजबूर

गुमला के जरडा गांव में स्थित सरकारी विद्यालय में मानदेय पर कार्यरत दो रसोईयों को पिछले सात साल से मानदेय नहीं मिला है. रसोईया अपनी मानदेय की मांग को लेकर दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

सात वर्षों से दो रसोइयों को नहीं मिल रहा है मानदेय, दर-दर भटकने को हुए मजबूर
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Published : Mar 18, 2020, 6:28 PM IST

गुमला: जिले के जारी प्रखंड क्षेत्र के जरडा गांव में स्थित सरकारी विद्यालय में मानदेय पर कार्यरत दो रसोईयों को पिछले सात साल से मानदेय नहीं मिला है. दोनों रसोईयों ने इसको लेकर कई बार विद्यालय के प्रधानाचार्य से बात की मगर हर बार उन्हें टालमटोल किया गया. थक हार कर दोनों स्थानीय ग्राम समिति के पास गुहार लगाई मगर मामला वहां भी नहीं सुलझ पाया. अब दोनों रसोईया अपनी मानदेय की मांग को लेकर दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

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सात साल से नहीं मिला मानदेय
विद्यालय में बच्चों के लिए खाना बनाने वाली रसोइयों ने बताया कि वे विद्यालय में करीब सात सालों से भोजन बनाने का काम कर रही हैं, लेकिन इन सात वर्षों से उन्हें एक बार भी मानदेय नहीं मिला है. जबकि विद्यालय में बच्चों के भोजन बनाने के लिए उन्हें ग्राम शिक्षा समिति की ओर से चुना गया था. इसके बाद से ही उन लोगों ने विद्यालय में खाना बनाना शुरू किया था. वहीं दूसरी रसोईया ने बताया कि वह उसकी मां की जगह में विद्यालय में वह भोजन बना रही है. उसकी मां विद्यालय में 10-12 वर्षों से अधिक समय तक बच्चों के लिए खाना बनाई जब उनकी उम्र ढल गई और वह कमजोर हो गई तो उनके जगह पर वह खाना बनाती है. विद्यालय में खाना बनाते करीब सात साल बीत गया है मगर अभी तक उन्हें मानदेय नहीं मिला है. मानदेय के संबंध में विद्यालय के प्रधानाचार्य से भी बोला गया मगर उनकी ओर से कहा गया कि वे इस संबंध में कुछ नहीं कर सकते हैं.

वहीं, इस संबंध में स्थानीय ग्राम प्रधान ने बताया कि यह मामला संयोजिका का है. शुरुआत में विद्यालय में 7 संयोजिका रखी गई थी तब से सभी काम कर रही है जिसमें दो संयोजिका को उनका मानदेय नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि इस मामले पर विद्यालय के प्रधान शिक्षक का कहना है कि छात्र संख्या के अनुसार सात संयोजिका को रखा गया था. लेकिन छात्रों की घटती संख्या के कारण तीन संयोजिका को रखा गया. मगर किसी का भुगतान नहीं होने तक रसोइयों ने कहा कि जब तक उन्हें मानदेय का भुगतान नहीं दिया जाता है तब तक वह काम नहीं छोड़ेंगे और उसी समय से दोनों रसोइयों का मानदेय नहीं मिल रहा है.

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