गुमला: पूरे झारखंड राज्य में 1 जून 2020 से बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 'पानी रोको, पौधा रोपो' अभियान की शुरूआत की गई. इसी कड़ी में गुमला जिले के रायडीह, घाघरा और गुमला प्रखंडों में जिले के वरीय पदाधिकारियों की उपस्थिति में योजना का शुभारंभ किया गया.
इस अवसर पर घाघरा प्रखंड के टोटांबी पंचायत में ‘पानी रोको, पौधा रोपो’ अभियान की शुरूआत की गई. वहीं, उप विकास आयुक्त हरि कुमार केशरी ने कहा कि बिरसा हरित क्रांति योजना के तहत गांवों में मनरेगा के क्रियान्वयन के जरिए बड़ी संख्या में गुमला आने वाले प्रवासी श्रमिकों को उनके अपने गांव में रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए जिन प्रवासी श्रमिकों का जाॅब कार्ड नहीं है, उनका जाॅब कार्ड बनाया जा रहा है, साथ ही क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी करने के बाद प्रवासी श्रमिकों को इन योजनाओं से जोड़कर स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध किया जाएगा.
वहीं, टोटांबी पंचायत में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रशिक्षु आईएएस मनीष कुमार ने कहा कि आज श्वेत क्रांति दिवस है. साधारण भाषा में इसे हम ’’दूध दिवस’’ कहते है. इसके जनक डाॅ. वर्गीज कुरियन का कहना था कि स्वस्थ्य शरीर के लिए दूध का उपयोग अनिवार्य है. दूध हमारे शरीर के लिए सर्वश्रेष्ठ पोषक है. इसी तरह हरित क्रांति के लिए जल ही जीवन है. हम बहते जल को रोक कर सुखाड़ के समय इसका उपयोग कर सकते है. उन्होंने कहा कि हमारी मिट्टी जितनी उर्वर होगी, उतनी ही पौधा रोपण से हरित क्रांति सफल होगी. साथ ही प्रवासी श्रमिक भी ग्राम स्तर पर रोजगार पाने के उतने ही हकदार है जितने स्थानीय श्रमिक.