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Published : May 30, 2022, 11:16 AM IST

Updated : May 30, 2022, 12:19 PM IST

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Vat Savitri Puja 2022: विशेष फलदायी है वट सावित्री का व्रत, अखंड सौभाग्य की सुहागिन महिलाएं कर रही कामना

गिरिडीह में सुबह से ही बरगद पेड़ के नीचे सुहागिनें वट सावित्री पूजा के लिए पहुंच रही हैं. नवविवाहित महिलाएं विशेष रूप से उत्साहित हैं. पुजारी बताते हैं कि इस बार का व्रत विशेष फलदाई है.

Vat Savitri Puja in Giridih
Vat Savitri Puja in Giridih

गिरिडीह: पूरे जिला में आज सुहागिन महिलाएं वट सावित्री पूजा कर रही हैं. सुबह से ही बरगद पेड़ के नीचे सुहागिनों की भीड़ उमड़ रही है. पहली बार व्रत कर रही नव विवाहितों में इसे लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनों ने वट सावित्री का व्रत रखा है और बरगद पेड़ के नीचे एकत्र होकर पूरे श्रद्धा भाव से पूजा कर रही हैं.

इस बार की पूजा विशेष फलदायी: हरिहरधाम मंदिर के पुजारी विजय पाठक के अनुसार इस बार का वट सावित्री का व्रत काफी शुभ है. आज के दिन सोमवती अमावस्या के साथ शनि जयंती का विशेष संयोग बन रहा है. ऐसे में आज की जा रही वट सावित्री पूजा (Vat Savitri Puja 2022) विशेष फलदायी है. सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाएं सदा सुहागिन रहती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लाने के लिए बरगद के पेड़ के नीचे ही व्रत रखा था. अपने पुण्य धर्म से सावित्री ने यमराज को प्रसन्न कर उनसे अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त किया. तब से सुहागिन महिलाएं हर साल इसी दिन वट वृक्ष (बरगद का पेड़) के नीचे बैठ कर पूजा करती है.

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पूरी होती है अखंड सौभाग्य की कामना: वट सावित्री पूजा ज्येष्ठ मास की अमावस्या को की जाती है. हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है. हरिहरधाम मंदिर के पुजारी विजय पाठक ने शास्त्रों के हवाले से बताया कि वटवृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु और डालियों व पत्तियों में भगवान शिव का निवास होता है. इस व्रत में महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं. सति सावित्री की कथा सुनने से सौभाग्यवती महिलाओं की अखंड सौभाग्य की कामना पूरी होती है.

वट सावित्री व्रत की कथा:वट सावित्री व्रत कथा के अनुसार सावित्री अपने पति की लंबी उम्र की कामना कर रही थी, उसी समय देव ऋषि नारद आए और सावित्री से कहने लगे कि तुम्हारा पति अल्पायु है. आप कोई दूसरा वर मांग लें. पर सावित्री ने कहा- मैं एक हिंदू नारी हूं, पति को एक ही बार चुनती हूं. तभी सत्यवान के सिर में अत्यधिक पीड़ा होने लगी. सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे अपने गोद में पति के सिर को रख उसे लेटा दिया. उसी समय सावित्री ने देखा अनेक यमदूतों के साथ यमराज आ पहुंचे हैं और सत्यवान के जीव को दक्षिण दिशा की ओर लेकर जा रहे हैं. यह देख सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चल देती है, उन्हें आता देख यमराज ने सावित्री से लौट जाने को कहा. उन्होंने कहा कि पृथ्वी तक ही पत्नी अपने पति का साथ देती है. अब तुम वापस लौट जाओ. उनकी इस बात पर सावित्री ने कहा- जहां मेरे पति रहेंगे, मुझे उनके साथ रहना है. यही मेरा पत्नी धर्म है. सावित्री के मुख से यह उत्तर सुन कर यमराज बड़े प्रसन्न हुए. उन्होंने सावित्री को वर मांगने को कहा और बोले- मैं तुम्हें तीन वर देता हूं. बोलो तुम कौन-कौन से तीन वर लोगी. तब सावित्री ने सास-ससुर के लिए नेत्र ज्योति मांगी, ससुर का खोया हुआ राज्य वापस मांगा और अपने पति सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनने का वर मांगा. सावित्री के ये तीनों वरदान सुनने के बाद यमराज ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा- तथास्तु! ऐसा ही होगा. उसके बाद सावित्री पुन: उसी वट वृक्ष के पास लौट आई, जहां सत्यवान मृत पड़ा था. सत्यवान फिर से जीवित हो उठा. व्रत के प्रभाव से न केवल अपने पति को पुन:जीवित करवाया बल्कि सास-ससुर को नेत्र ज्योति प्रदान करते हुए, उनके ससुर को खोया राज्य फिर से दिलवाया.

Last Updated : May 30, 2022, 12:19 PM IST

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