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गिरिडीह की इस गौशाला में बूढ़ी बीमार गोवंश की होती है निस्वार्थ भाव से सेवा, नहीं लेते सरकारी मदद

गिरिडीह के मधुबन में स्थित तलेटी तीर्थ निस्वार्थ भाव से गोवंश की सेवा कर रहा है. इन बेजुबानों को न सिर्फ समय पर चारा दिया जाता है बल्कि इलाज की भी पूरी व्यवस्था है. गोवंश की सेवा के लिए सरकार से किसी प्रकार का अनुदान नहीं मिलता है.

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Published : Mar 10, 2021, 12:32 PM IST

Gauvansh Trust takes care of abondoned animals in giridih
गिरिडीह के मधुबन में निस्वार्थ भाव से होती है सेवा

गिरिडीह:मधुबन में स्थित तलेटी तीर्थ निस्वार्थ भाव से गोवंश की सेवा कर रहा है. यहां इन बेजुबानों को ना सिर्फ समय पर चारा दिया जाता है बल्कि इलाज की भी पूरी व्यवस्था है. यह सब संस्था के कर्मचारियों की देखरेख में किया जाता है. बताते चलें कि जैन धर्म के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल मधुबन में श्री तलेटी तीर्थ चेरिटेबल ट्रस्ट स्थित है. ये ट्रस्ट मानव की सेवा के साथ साथ बेजुबानों की सेवा में भी जुटा है. मधुबन में ही एक गौशाला का संचालन किया जाता है.

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गौशाला पिछले कई सालों से संचालित है. इस गौशाला में हमेशा तीन-चार सौ गाय, बैल, बछड़ा निवास करते हैं और उनकी सेवा पूरे निस्वार्थ भाव से की जाती है. यहां दुधारू की जगह बूढ़ी, विकलांग, बीमार गाय-बैल को ही सहारा दिया जाता है. इनका कहना है कि दुधारू पशुओं की देखभाल के लिए तो कोई भी तैयार हो जाता है, लेकिन जो पशु दूध नहीं दे सकते या जो बीमार हैं और जख्मी हैं, उनकी देखभाल होनी चाहिए. इसके लिए ट्रस्टी हर दिन की जानकारी लेते हैं.

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कर्मचारियों ने दी जानकारी

इस मामले पर संस्था के कर्मी पिंटू सिन्हा ने बताया कि यहां मवेशियों की देखभाल के लिए 6 कर्मी 24 घंटे ड्यूटी पर रहते हैं. भोजन, पानी से लेकर इलाज तक का जिम्मा इन्हीं 6 कर्मियों पर रहता है. व्यवस्थापक दीपक भाई मेपानी के अलावा दिनेश भाई शाह हर रोज यहां की रिपोर्ट लेते रहते हैं. वहीं ट्रस्टी वासु भाई राजा, शैलेश भाई, छबील भाई समेत अन्य भी समय समय पर गौशाला की जानकारी लेते रहते हैं. ये भी बताया कि यहां गोवंश की सेवा के लिए सरकार से किसी प्रकार का अनुदान नहीं मिलता है. इसके अलावा हरे चारे की कमी खासतौर पर सामने आई है. जानकारी के मुताबिक अगर चारा लगाने के लिए जमीन मिलती, तो इन मवेशियों की सेवा और भी बेहतर तरीके से हो सकती थी.

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