गिरिडीहः पेड़ पौधों में भी जीवन होता है इसे पता लगाने के लिए केस्कोग्राफ यंत्र को महान वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस ने किया था. 30 नवंबर 1985 को बांग्लादेश में जन्मे भारत के इस महान वैज्ञानिक की कर्म भूमि गिरिडीह ही रही. गिरिडीह में ही 23 नवंबर 1932 को उन्होंने प्राण त्याग दिया था. जिस भवन में उनकी मृत्यु हुई थी वह अब विज्ञान भवन के नाम से जाना जाता है. अब इस विज्ञान भवन का जीर्णोद्धार होगा. इसके लिए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग झारखंड सरकार ने 58 लाख 88 हजार पांच सौ रूपये की स्वीकृति भी दे दी है.
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इस धरोहर के जीर्णोद्धार का प्रयास तत्कालीन डीसी केके पाठक द्वारा शुरू किया गया था. एक वर्ष पूर्व सदर विधायक सुदिव्य कुमार असैनिक कार्य तथा प्रदर्श कार्य के लिए जोर लगाया. 23 मार्च 2023 को असैनिक कार्य के लिए जिले के डीसी से प्राक्कलन उपलब्ध कराने का निवेदन संबंधित विभाग ने किया था. 21 जून को जिले के डीसी ने प्राक्कलन उपलब्ध कराया. उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग योजना भवन ने जो पत्र जारी किया है उसके अनुसार असैनिक कार्य तो राज्य सरकार करवाएगा लेकिन प्रदर्श संबंधित कार्य नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम कोलकाता द्वारा कराया जाएगा. यह बताया गया कि विज्ञान भवन के जीर्णोद्धार कार्य को पूर्ण करने की अवधि कार्यानुमति निर्गत की तिथि से 06 माह की होगी.
उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग योजना भवन द्वारा जारी पत्र इसको लेकर गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार ने बताया कि महान वैज्ञानिक सर जेसी बोस की स्मृति विज्ञान भवन का जीर्णोद्धार का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा. इसके लिए राशि स्वकृति हो गई है. साथ ही कहा कि उनकी स्मृति को सहेजना हमारा कर्तव्य है. दूसरी तरफ सर जेसी बोस मेमोरियल सोसायटी के प्रभाकर कुमार, रितेश कुमार समेत अन्य ने कहा कि हम सबों के लिए गर्व की बात है कि गिरिडीह सर जेसी बोस की कर्मभूमि है. इनके स्मृति भवन को बचाने का प्रयास किया जाना स्वागत योग्य है.