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गिरिडीहः चंपा के बाद नीरज बना रोल मॉडल, बाल मजदूरों को स्कूल भेजने पर डायना अवार्ड से सम्मानित

गिरिडीह जिला एक बार फिर सुर्खियों में हैं. यहां के आदिवासी युवक नीरज मुर्मू को ब्रिटेन का प्रसिद्ध डायना अवार्ड मिला है. नीरज को आदिवासी युवकों को स्कूल भेजने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है. इससे पहले यहीं की चम्पा कुमारी को भी डायना अवार्ड से सम्मानित किया गया था.

नीरज मुर्मू
नीरज मुर्मू

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Published : Jul 2, 2020, 3:25 PM IST

Updated : Jul 2, 2020, 7:42 PM IST

गिरिडीहःजिले के सुदूरवर्ती गांव का एक आदिवासी युवक प्रसिद्ध डायना अवार्ड से सम्मानित हुआ है. सम्मानित हुआ युवक तिसरी प्रखंड का रहने वाला है.

नीरज मुर्मू डायना अवार्ड से सम्मानित.

बाल मजदूरों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करने व स्कूल तक भेजने पर एक आदिवासी युवक को ब्रिटेन का प्रतिष्ठित डायना अवार्ड से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान बुधवार की देर रात को मिला है.

सम्मानित हुआ युवक गिरिडीह के तिसरी प्रखंड के दुलियाकरम निवासी नीरज मुर्मू है. नीरज को यह सम्मान बुधवार की देर रात तक चले कार्यक्रम के दौरान ऑनलाइन दिया गया.

इस ऑनलाइन सम्मान समारोह में उनके साथ कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउन्डेशन के प्रतिनिधि मुकेश तिवारी मौजूद थे. तिसरी में ही आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण भी मौजूद थे.

बन्द खदान में ढिबरा चुनता था नीरज

बताया गया कि रामजीत मुर्मू का पुत्र नीरज मुर्मू माइका की बन्द खदानों से ढिबरा चुनने का काम करता था. वर्ष 2011 में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन के सदस्यों ने नीरज का नाम चन्दौरी स्थित बालक मध्य विद्यालय में लिखवाया था.

इसके साथ ही नीरज बाल पंचायत का सदस्य बन गया. नीरज ने अपने साथ ढिबरा चुनने वाले 12 बच्चों का भी नामांकन स्कूल में करवाया.

वर्ष 2013 में नीरज बाल ग्राम युवा मंडल का अध्यक्ष भी बन गया. वर्ष 2014 में काम की तलाश में चार बच्चे तमिलनाडु चले गए तो उन्हें भी मोटिवेट कर पढ़ने के लिए प्रेरित किया.

यहां के बाद नीरज सामाजिक कार्यकर्ता के नाते लोगों की मदद करने लगा. प्रखंड मुख्यालय जाकर लोगों की समस्याओं का निदान करवाना, श्रमदान के जरिये जर्जर सड़क को भरवाने जैसे कार्य भी किये.

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नीरज को डायना अवार्ड मिलने से उसके परिजनों के साथ-साथ गांव के लोगों में भी खुशी देखी जा रही है. कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउन्डेशन के मुकेश तिवारी बताते हैं कि उनकी संस्था लगातार बाल मजदूरी, बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ अभियान चला रही है और इसका लाभ भी मिल रहा है.

इस इलाके के बच्चे कभी दिनभर ढिबरा ( माइका का अवशेष) चुनने में अपना समय व्यतीत करते थे ऐसे बच्चे आज स्कूल जा रहे हैं.

इन बच्चों को स्कूल तक भेजने में चंपा, नीरज जैसों का बहुत योगदान रहा है. बता दें कि पिछले वर्ष गावां प्रखंड के जमडार की चम्पा कुमारी को भी डायना अवार्ड से सम्मानित किया गया था. चंपा आज इलाके की रोल मॉडल है और बाल मजदूरी, बाल विवाह रोकने का काम भी करती है.

Last Updated : Jul 2, 2020, 7:42 PM IST

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