झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

LIC IPO: गिरिडीह में एलआईसी कर्मियों का आईपीओ के खिलाफ विरोध, दो घंटे तक वॉक आउट हड़ताल - jharkhand news

केंद्र सरकार द्वारा एलआईसी के शेयर को बेचे जाने के फैसले का गिरिडीह में एलआईसी कर्मियों ने दो घंटे का हड़ताल करते हुए आईपीओ का विरोध किया. कर्मियों ने कहा कि एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) लाना देश और बीमा धारकों के साथ धोखा है.

giridih news
giridih news

By

Published : May 4, 2022, 2:38 PM IST

गिरिडीह: 03 मई को एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) को सब्सक्रिप्शन के लिए खोल दिया गया. आईपीओ खुलते ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है. इसके विरोध में अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ (All India Insurance Employees Union) के आह्वान पर एलआईसी कर्मी दो घंटे के वॉकआउट हड़ताल पर रहे. हड़ताल की जानकारी देते हुए सचिव धर्म प्रकाश ने कहा कि एलआईसी का आईपीओ लाना देश और बीमा धारकों के साथ धोखा है.

इसे भी पढ़ें:धनबादः LIC शेयर बेचे जाने को लेकर कर्मियों ने जताया विरोध, कहा- लोगों के जीवन के साथ सरकार कर रही खिलवाड़

एलआईसी की स्थापना: 5 सितंबर 1956 को एलआईसी की स्थापना " जनता का पैसा जनता का विकास " अवधारणा के साथ किया गया था. पिछले 65 वर्षों में एलआईसी ने इसी अवधारणा के साथ काम करते हुए देश के आधारभूत संरचना के विकास में अभी तक 28 लाख करोड़ का निवेश किया है. 5 करोड़ की पूंजी से शुरु होकर एलआईसी ने 65 वर्षों में कुल 39 लाख करोड़ की संपत्ति अर्जित की है. 22 वर्षों के कॉम्पिटिशन के बाद भी एलआईसी जीवन बीमा उद्योग में 70% हिस्सेदारी के साथ मार्केट लीडर बना हुआ है.

देखें वीडियो


आईपीओ सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला: अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ ने आईपीओ को देश का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला बताया है. संघ के मुताबिक पूर्व में केंद्र सरकार ने एलआईसी के आईपीओ के माध्यम से 65 से 75 हजार करोड़ रुपए पूंजी बाजार से उगाहने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक मात्र 21 हजार करोड़ अर्जित करने की बात कही जा रही है. मात्र 21 हजार करोड़ के लिए एलआईसी का आईपीओ लाना देश और बीमा धारकों के साथ धोखा है. हिंदुस्तान के इतिहास में एलआईसी का आईपीओ अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला साबित होने जा रहा है. राजकोषीय और बजटीय घाटे की भरपाई करने के लिए केंद्र सरकार एलआईसी और अन्य सार्वजनिक प्रतिष्ठानों का शेयर बेच रही है, जिसका अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ पुरजोर विरोध करती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details